प्रदेश में महंगाई राहत कैंप लगाकर सरकार जनता को कर रही गुमराह, बिजली दरों में लगातार बढ़ रहे फ्यूल सरचार्ज से जनता परेशान।
वीरधरा न्यूज़। बेंगु@ श्री महेन्द्र धाकड़।
बेगूं।प्रदेश में बढ़ती बिजली दरों में लगातार बढ़ रहे फ्यूल सरचार्ज से राहत को लेकर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा जगह जगह प्रदर्शन किया जा रहा है। वही गुरुवार को राजस्थान कांग्रेस सरकार के खिलाफ़ नारेबाजी करते हुए उपखण्ड अधिकारी बेगूं को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन के दौरान उपखंड अधिकारी नही होने पर भापजा कार्यकर्ताओं ने आक्रोश व्यक्त किया। भाजपा कार्यकर्ताओ ने सरकार की गौर निंदा करते हुए कहा प्रदेश में सरकार महंगाई राहत कैंप के नाम पर लगातार जनता को गुमराह कर रही है।
ज्ञापन में बताया की पूर्व भाजपा सरकार में जो फ्यूल सरचार्ज 18 पैसे प्रति यूनिट हुआ करता था, जिसे वर्तमान कांग्रेस सरकार ने बढ़ाकर 60 पैसे प्रति यूनिट औसतन कर दिया। वही 2018 में बिजली की प्रति यूनिट दरें 5 रुपए 55 पैसे हुआ करती थी वह अब बढ़ाकर 11 रुपए 90 पैसे कर दिया गया।
राजस्थान में विद्युत उत्पादन निगम के 10 थर्मल व हाइडल प्लांट और 3 अन्य पावर प्लांट हैं जिनकी कैपेसिटी 8597.35 मेगावाट बिजली उत्पादन की है,लेकिन सरकार की नीतियों के चलते कोयले की कमी, तकनीकी खराबी का बहाना बनाकर यह उत्पादन घटकर महज 3500 से 4000 मेगावाट पर आ गया। वहीं प्रदेश सरकार के कुप्रबंधन के चलते प्रदेश में प्रति माह से थर्मल पावर प्लांट बंद हो जाते हैं।
बताया की विंड एनर्जी और सोलर एनर्जी के मामले में भी प्रदेश में 17 हजार 143 मेगावाट के विद्युत संयंत्र लगे होने के बावजूद इनसे पैदा होने वाली बिजली में से प्रदेश की जनता को 3 हजार 326 मेगावाट बिजली ही मिल पाती है। वर्तमान में प्रदेश में जनता को उत्पादित बिजली का 23 फीसदी हिस्सा ही प्रदेश को मिल पाता है, जबकि 77 फीसदी उपयोग प्रदेश के बाहर निजी विद्युत कंपनियों के उपयोग में आ रही है। इसी के चलते ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अघोषित बिजली कटौती के हालात हैं। एक तरफ सरकार 23.309 मेगावाट क्षमता बिजली उत्पादन के साथ सरप्लस बिजली होने की बात कहती है, दूसरी तरफ प्रदेश में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 6- 10 घंटे अघोषित बिजली कटौती करती है। घरेलू श्रेणी की मंहगी बिजली दरों के मामले में राजस्थान देश में चौथे नंबर पर है।
प्रदेश के करीब डेढ करोड विद्युत उपभोक्ताओं को 17 रुपए प्रति यूनिट बिजली महंगी दी जा रही है। गहलोत सरकार में साल 2021 में 13 हजार 793 करोड़ तक की महंगी बिजली खरीदी गई। उसके बावजूद अन्य राज्यों के मुकाबले चालीस प्रतिशत मंहगी बिजली उद्योगों को दी जा रही है। महंगी बिजली खरीद के बाद फिर कटौती का संकट उद्योगों को झेलना पड़ रहा है, वही प्रदेश में प्रत्येक सप्ताह में सायः सात बजे से सुबह पांच बजे तक रोटेशन के नाम पर बिजली कटौती की जा रही है।