वीरधरा न्यूज़। जोधपुर@ डेस्क।
जोधपुर। महावीर जयंती पर सैकड़ों श्रद्धालुओं द्वारा कायलाना रोड स्थित संबोधि धाम में निर्मित मेरु शिखर पर पद्मासन में विराजमान 51 इंच ऊंची भगवान की प्रतिमा का महा मस्तकाभिषेक किया गया। इस दौरान भगवान की माता त्रिशला महारानी द्वारा देखे गए 14 दिव्य सपनों का झूमते गाते हुए बधावणा किया गया और भगवान का पालना झुलाने का आनंद लिया। राष्ट्रसंत श्री ललितप्रभ जी, राष्ट्रसंत श्री चंद्रप्रभ जी और डॉ. मुनि श्री शांतिप्रिय जी महाराज साहब के सानिध्य में आयोजित हुए इस समारोह में अशोक दफ्तरी जयुपर द्वारा स्नात्र पूजन किया गया।
इस अवसर पर अलसुबह भाई बहन बच्चे धुले हुए पूजा के वस्त्रों में संबोधि धाम पहुंच गए थे। श्रद्धालुओं ने सर्वप्रथम विविध चमत्कारी औषधियों से युक्त गंगाजल के साथ चंदन अक्षत फल फूल और नैवेद्य से भगवान की अष्टप्रकारी पूजा की। कार्यक्रम में अरूण भंडारी ने पालना झुलाया, सपनों का दर्शन लक्ष्मीचंद बागरेचा द्वारा करवाया गया और महाआरती चिंतामणि मालू परिवार द्वारा की गई।
इस अवसर पर संत चंद्रप्रभ ने कहा कि महावीर की अहिंसा और प्रेम को पूरे विश्व में फैलाया जाना चाहिए। अहिंसा से विश्व में शांति आएगी और प्रेम से धरती समृद्ध होगी। जीयो और जीने दो में महावीर के धर्म का सार समाया हुआ है। जो तुम अपने लिए चाहते हो वही तुम औरों के लिए चाहो और जो अपने लिए नहीं चाहते वह दूसरों के लिए भी मत चाहो। अगर हम औरों से लाड चाहते हैं तो भूलचूककर भी किसी से लड़ाई न करें। हम धन-दौलत, जमीन-जायदाद, पत्नी-बच्चे पाने के लिए महावीर की शरण में न जाएं क्योंकि इन सबका तो उन्होंने त्याग कर दिया था। हमारा उनके पास जाना तभी सार्थक होगा जब हम प्रेम, शांति और आनंद को पाने के लिए उनके पास जाएंगे। महावीर की पूजा तभी होगी जब हम अहिंसा के स्तंभ बनाने की बजाय जीवन को अहिंसामय बनाएंगे। महावीर की जय बोलने से पहले व्यक्ति उनके संदेशों की अनुपालना करे, लिपिस्टिक, चमड़े से बने जूते, बेल्ट, पर्स इत्यादि चीजों का और रात्रिभोजन का त्याग करे।