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जो अपने माता पिता के चरणों में सिर झुकाते हैं उनके सिर किसी के सामने नहीं झुकते- साध्वी डाॅ. अर्पिता जी म.सा.

वीरधरा न्यूज़।चित्तोड़गढ़@डेस्क।


चित्तौड़गढ़। श्रमण संघीय उपप्रवर्तिनी वीरकान्ता जी की सुशिष्या साध्वी डाॅ. अर्पिता जी म.सा. ने पर्यूषण महापर्व के पांचवे दिन धर्म सभा में प्रवचन माला में ‘‘माता पिता है पहली पूजा, इनके बिना ना तीरथ दूजा’’ विषय पर बोलते हुए कहा कि माता-पिता हमारे जीवन के निर्माणकर्ता है। यह शरीर हमें उनकी कृपा से ही प्राप्त हुआ है। उनकी बदौलत ही हमें सफलता मिली है। हम जो कुछ भी है, उनके ही त्याग और बलिदान की बदौलत है। हमारी खुशियों के लिए उन्होंने अपने आराम का त्याग किया।
भगवान महावीर ने भी संसार में आने से पहले ही माता के गर्भ में ही यह संकल्प किया कि माता-पिता की मृत्यु उपरान्त ही दीक्षा लेंगे, तब तक दीक्षा की बात ही नहीं करेंगे। ऐसे परमात्मा के पदचिह्नों पर चल कर हम अपना जीवन सार्थक करें। माता-पिता के लिए श्रीकृष्ण ने क्या कुछ नहीं किया। श्रवण कुमार ने अपनी पत्नी की अपेक्षा मां बाप को प्राथमिकता दी।
माता-पिता के चरणों में सारे तीर्थ है। माता-पिता की सेवा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। जगत में मान सम्मान माता-पिता के सम्मान की बदौलत ही है। उनके आशीर्वाद की ताकत से व्यक्ति सफलता की ऊँचाईयों को छू लेता है। माता कभी कुमाता नहीं होती। मां की दुआ भगवान से टाली नहीं जाती, मां की बद-दुआ भी खाली नहीं जाती। जो अपने मां बाप के चरणों में सिर झुकाते हैं उनके सिर किसी के सामने नहीं झुकते। जो मां बाप का अपमान करते हैं, कष्ट देते हैं ईश्वर उन पर कभी प्रसन्न नहीं होते।
भगवती सूत्र में भगवान ने फरमाया कि वह संतान ही माता-पिता के ऋण से उऋणी हो सकती है जो उन्हें अंत समय धर्म मार्ग पर ले जाये। माता-पिता के धर्मध्यान में अन्तरायन दें और उन्हें पण्डित मरण दिला दे। पौराणिक एवं आगमिक उदाहरणों के माध्यम से उन्होंने माता-पिता एवं पुत्र के करणीय और अकरणीय कार्यों को समझाया। साध्वी श्री वीना जी म.सा. ने अन्तगढ़ दशा सूत्र का वाचन कराते हुए श्रीकृष्ण की रानियों और अर्जुन माली के चरित्र का विवेचन किया।

दिवाकर महिला मण्डल द्वारा नेमकुमार की बारात और राजमतीजी के दीक्षा प्रसंग की लघु नाटिका प्रस्तुति के माध्यम से जीवन्त प्रस्तुति दी। दीपिका जैन ने 6 उपवास के प्रत्याख्यान लिए, पांच, चार और तीन की तपस्या के भी प्रत्याख्यान हुए। 85 भाई बहनों ने दयाव्रत के प्रत्याख्यान लिए।
श्रीसंघ अध्यक्ष लक्ष्मीलाल चण्डालिया ने अवगत कराया कि संवत्सरी के अवसर पर पंचमी के दिन सामूहिक पारणे की व्यवस्था शांति भवन में रखी गई है। सामूहिक क्षमापना का कार्यक्रम भी महासतियां जी के सानिध्य में रखा गया है। संचालन ऋषभ सुराणा एवं अभय संचेती ने किया।

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