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मन बीमार नहीं रहना चाहिये, चाहे तन अस्वस्थ रहे: साध्वी डाॅ. अर्पिता जी म.सा.

वीरधरा न्यूज़।चित्तोड़गढ़@डेस्क।

चित्तौड़गढ़। श्रमण संघीय उपप्रवर्तिनी वीरकान्ता जी की सुशिष्या साध्वी डाॅ. अर्पिता जी म.सा. ने पर्यूषण पर्व की अष्ट दिवसीय प्रवचन माला के प्रथम दिन तन को निरोग बनाए, मन को डिप्रेशन से हटाए विषय पर प्रवचन करते हुए कहा कि अवसाद एक मनःस्थिति है। विचारों के अधिक परिग्रह से पैदा होती है। जो विचार हमारे काम के नहीं, जिनसे हमारा कोई लेना देना नहीं हो ऐसे फिजूल विचारों को मन पर लेने से डिप्रेशन की स्थिति बनती है। ज्यादा सोचेंगे, ज्यादा चिन्ता करेंगे तो हमारा मन बीमार होगा। किसने, कब, कहां, क्यों और क्या कहा? ये चिन्तन ही अवसाद को जन्म देता है। हमारे और परिवार के बारे में लोग क्या कहेंगे, यह सोचकर व्यक्ति मानसिक तनाव का शिकर हो जाता है।

उन्होंने कहा कि जीवन के विभिन्न मनोभाव हम लोगों पर समय समय पर अपनी सवारी करते रहते है। यह अवसाद सभी वेदनाओं से कठोर है। अवसाद का मनोभाव सर्दी, जुकाम से भी ज्यादा प्रचलित है। यह एक विवेकहीन विपत्ति है। यह कितने दिन चलेगी, इसकी कोई समय सीमा नहीं होती है। यह केवल आधे दिन भी रह सकती है अथवा पूरे जीवन भर साथ नहीं छोड़ती। परेशानियां कभी रूकने वाली नहीं है। हमें विपरितताओं के साथ ही जीना पड़ेगा। इसका प्रभाव सभी पर कभी न कभी होता ही है। निराशा-अवसाद की सहगामिनी है। अवसादग्रस्त व्यक्ति अपराध भावना से ग्रसित धार्मिक और त्याग करने वाला व्यक्ति होता है।

उन्होंने कहा कि आजकल अवसाद के अधिकांश रोगियों का इलाज दवाइयों से ही हो जाता है परन्तु शारीरिक श्रम, आध्यात्म चिन्तन, समय के सदुपेयाग, सुरूचिपूर्ण रहन सहन, मनोबल, निर्णय क्षमता बनाये रखकर, पारिवारिक और सामाजिक कार्यों में सक्रियता, हानिप्रद भोजन से दूरी, सार्थक कार्यों में व्यस्तता, मित्र मण्डली का साथ आदि उपायों से आप डिप्रेशन से उबर सकते हैं। उन्होंने कहा कि मानव जीवन में बुढ़ापा सबसे अप्रत्याशित घटना होती है पर आती सबको है। डूबता सूरज भी उगते सूरज से कम खूबसूरत नहीं होता। पहला सुख निरोगी काया। शरीर को जो पोषण चाहिये, शारीरिक श्रम मिलना चाहिये, जिन्दादिल रहे, खुश मिजाज रहे, अगर जिन्दा दिली है तो बुढ़ापा भी जवानी है। मन बीमार नहीं रहना चाहिये, चाहे तन अस्वस्थ रहे। मन पर नियंत्रण करें। मन का विेजा जग का विजेता है। मस्त रहो, व्यस्त रहो, स्वस्थ रहो। स्वयं हंसे, दूसरों को भी हंसाये। मन के जीते जीत है, मन के हारे हार, आदि सूत्रों के साथ उन्होंने कहा कि कल के प्रवचन का विषय रहेगा ब्रांडेड का जमना – तो आओ हम भी ले खजाना।

तपस्वी साध्वी वीना जी ने अन्तगढ़जी सूत्र के प्रथम अध्ययन का भावार्थ सहित वाचन किया। पर्यूषण महापर्व की स्वागत गीतिका भी प्रस्तुत की। संघ अध्यक्ष लक्ष्मीलाल चण्डालिया ने बताया कि 24 घंटे के अखण्ड नवकार जाप शांति भवन में चल रहे हैं। सायंकालीन प्रतिक्रमण – पौषण की व्यवस्था शांतिभवन सेंती एवं शहर में खातरमहल एवं नये स्थानक में रहेगी। महिला मण्डल अध्यक्षा ने बताया कि गुरुवार को एक श्वास में नवकार गिनो प्रतियोगिता रहेगी। सामूहिक तपाराधना में मौन एकासन तप की सामूहिक आराधना का भी आयोजन रहेगा।

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