वीरधरा न्यूज़।चित्तोड़गढ़@डेस्क।
चित्तौड़गढ़। श्रमण संघीय उपप्रवर्तिनी श्री वीरकान्ता जी की सुशिष्या डाॅ. अर्पिता जी म.सा. ने शांति भवन में प्रवचन करते हुए कहा कि हरेक व्यक्ति में कुछ गुण तो होते ही है परन्तु साथ में रहे हुए दोष उन गुणों को मलिन करते रहते हैं। जैसे – दान, ज्ञान, भक्ति आदि गुण है। परन्तु इस पर अभिमान करना दुर्गुण है। पुण्यों के फल से प्राप्त गुणों केा पाप का साधन मत बनाइये। दुर्गुणों का ही दूसरा नाम पाप है, भगवान ने हिंसा आदि पापों के समान ही पैशुन्य अर्थात् चुगली को भी महापाप कहा है। कई लोग चुगली खाने में अपनी प्रशंसा समझते हैं पर उन्हें नहीं पता की इससे उनकी इज्जत कितनी खराब हो जाती है। चुगली खाना मानव धर्म के भी प्रतिकूल है। परमात्मा ने साफ कहा है कि ‘‘जो किसी की बुराई करता है वह पीठ का मांस खाने समान है।’’ क्योंकि चुगली पीठ पीछे ही की जाती है। सम्यक दृष्टि जीव दुसरों के गुणों को देखते हैं अवगुणों को नहीं।
उन्होंने कहा कि अठारह पापों में से 7 पाप मृषावाद, क्रोध, कलह, अभ्याख्यान, चुगली, परपरिवाद, माया मृषावाद ऐसे पाप है जिसमें वाणी-जिह्वा का उपयोग होता है। इन पापों से बचने का सबसे उत्तम साधन मौन है। मौन एक साधना है तो बोलना एक कला है। जब तक बोलने की कला नहीं यश नाम कर्म नहीं बन्ध सकता। इसलिए तोल मोल कर बोलना चाहिये, जिससे किसी का अनर्थ न हो। चुगली से जीवन भर के वैर बन्ध जाते हैं और कई लोग चुगली की बदौलत विषभक्षण कर मर जाते हैं।
उन्होंने कहा कि उक्त सात पाप जिसमें जीभ या वाणी का प्रयोग होता है उनसे भाषा नियंत्रण या मौन से आसानी से बचा जा सकता है। इसलिए चुगली नहीं करनी चाहिये।
नवयुवक मण्डल अध्यक्ष मुकेश सेठिया ने बताया कि 14 अगस्त रविवार को नन्हें मुन्ने बच्चों की देशभक्ति आधारित नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन प्रवचन के पश्चात् रखा गया है।
नवकार जाप प्रभारी सरोज नाहर ने बताया कि 14 अगस्त रविवार के अखण्ड नवकार जाप शम्भूलाल रांका के 12-ई, पंचवटी स्थित आवास पर प्रातः 7ः15 बजे से सायं 7ः15 बजे तक रहेंगे।