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आंख से देखो, कान से सुनो और बुद्धि से निर्णय करो, तब ही कोई बात मुँह से बाहर निकालों- साध्वी डाॅ. अर्पिता जी म.सा.

वीरधरा न्यूज़।चित्तोड़गढ़@डेस्क।

चित्तौड़गढ़। श्रमण संघीय उपप्रवर्तिनी श्री वीरकान्ता जी की सुशिष्या डाॅ. अर्पिता जी म.सा. ने शांति भवन में अठारह पापों के विवेचन के क्रम में कहा कि दुःखों से बचना हो तो सर्वज्ञ के उपदेशों पर चलो। पाप पंक से आकंठ निमग्न रहकर सुख की कामना असम्भव है। भगवान का उपदेश पापों से बचने का है।
तेरहवां पाप अभ्याख्यान पाप भी हिंसा आदि पापों का भाई बन्धु ही है। यह भी नरक में ले जाने वाला है। किसी को मिथ्या कलंक, झूठा इल्जाम लगाना, तोहमत देना अभ्याख्यान कहलाता है। किसी को झूठा कलंक लगा देना घोर पाप है। इस दोष में अनेक पापों का समावेश है, हिंसा, झूठ आदि पाप इसमें है। इस पाप का सेवन करने वाले की आत्मा पतित हो जाती है। सभी धर्मशास्त्रों ने इसे महापाप कहा है।
जो हमने प्रत्यक्ष नहीं देखा और जिसके साथ अपनी भी प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है उसके विषय में बढ़ चढ़ कर बाते बनाना, झूठा कलंक है। कई बार आंखों देखी बात भी गलत निकल जाती है, जो बड़े अनर्थ का कारण बन जाती है। किसी निर्दोष व्यक्ति को कितना आघात लगेगा, कल्पनातीत है। अन्ततः झुठा कलंक लगाने वाले को भी लोगों के समक्ष अविश्वास का भाजन बनना पड़ता है, उसे लज्जित भी होना पड़ता है।
जो लोग स्वयं चोरी करके धनवान बने बैठे हैं वे गरीब को चोर कहने से संकोच नहीं करते, ऐसा जुल्म मत करो, आंख से देखो, कान से सुनो और बुद्धि से निर्णय करो, तब ही कोई बात मुँह से बाहर निकालों। उन्होंने भगवती सूत्र में गौतम स्वामी द्वारा महावीर स्वामी से पूछे प्रश्न का उत्तर बताते हुए कहा कि जो जिस पर जैसा कलंक लगायेगा उसे वैसा ही कलंक लगेगा और फिर उसे रोना पड़ेगां जैसा सीताजी ने पूर्व भव में एक साधु पर झूठा कलंक लगाया तो उन्हें भी झूठा कलंक लगा और वन-वन भटकना पड़ा। मौन रहकर हम इस पाप से बच सकते हैं।
नवकार जाप प्रभारी ने बताया कि 13 अगस्त के जाप दिलीप, रेखा कांठेड़ के सेगवा हाऊसिंग बोर्ड स्थित आवास 2-बी-49 पर प्रातः 8 बजे से रात्रि 8 बजे तक रहेंगे।

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