अमरनाथ आपदा में जान जोखिम में डाल बचाव में उतरे बस्सी के 7 नौजवान, प्रत्यक्षदर्शी रहे बस्सी के यूवा, डटे रेस्क्यू ऑपरेशन में।
वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@डेस्क।
चित्तौड़गढ़।पवित्र अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने से आई त्रासदी में हजारों श्रद्धालुओं को बिछड़ने पर विवश कर दिया।
जिसका जहां लगा वहां बच निकले।
चारों और चीख पुकार के सिवा कुछ ना था।
फिर भी लोग महादेव की जयकार लगाते हुए सुरक्षित स्थान पर निकलने का प्रयास करते रहें।
गनीमत रही कि बादल फटने की घटना शाम के समय हुई , अगर यही घटना रात्री में होती तो हजारों श्रद्धालुओं की जिन्दगी लील जाती ।
ऐसी भीषण आपदा में हर कोई अपनी जान बचाकर भागने को विवश था , ऐसी विकट परिस्थितियों में महादेव के भक्त बस्सी के करीब 7 नौजवान ओम प्रकाश नामधराणी, महेश जागेटिया, विशाल सोनी, आशीष मुंदड़ा, दिलीप गट्टानी, आदि उस कठीन परिस्थितियों में भी सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर श्रृद्धालुओं को बचाने और सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने में डटे रहे।
कहते हैं देश सेवा का जज्बा अगर मन में हो तो व्यक्ति को किसी वर्दी की आवश्यकता नहीं होती, वह तो सिर्फ मौके की तलाश में रहता हैं कि कब देश और मानव सेवा में समर्पित होना हैं।
ऐसा ही कर दिखाया हैं बस्सी कस्बे के सात नौजवानों ने।
आपको बता दें कि अमृतसर में रहने वाले मूलतः बस्सी निवासी पवन साबु जी करीब 30 साल से अमरनाथ यात्रा के दौरान जोगणियां माता के नाम लंगर लगाते आ रहें हैं ।
वहीं पवन साबुजी ने बताया कि पिछले 30 सालों में कई आपदाएं आंखों देखी घटित हूई पर भोलेनाथ सब की रक्षा करते हैं।
इस बार भी चमत्कार से कम नहीं हुआ कि भोले की कृपा से सब सुरक्षित और सकुशल हैं।
वहीं लंगर में बस्सी कस्बे के युवा हर वर्ष यात्रा के दौरान अलग अलग पारियों में जाकर अपनी सेवाएं देते आ रहे हैं।
बस्सी के यूवा जो प्रतिवर्ष यात्रा के दौरान अमरनाथ यात्रियों को भोजन, पानी आदि व्यवस्थाओं में सेवा देते हैं।
कल भी हादसे के समय भी बस्सी के युवा वहां मौजूद थे।
बस्सी के ओमप्रकाश नामधराणी, महेश जागेटिया, विशाल सोनी आदि युवाओं ने दूरभाष पर आंखो देखा हाल बताया कि तेज गर्जना के साथ जैसे बादल फटा तो सब लोग लंगर से गुफा की ओर भागे।
चंद मिनटों में सब कुछ तहस नहस हो गया। उस समय लंगर में करीब 60 लोग ठहरें हुए थे।
ऐसी विकट घड़ी में कोई चंदनबाड़ी के रास्ते अथवा बालटाल के रास्ते पैदल ही चल पड़े।
उसके पश्चात युवाओं ने अपनी जान की परवाह किये बगैर सेना के आदेशों की पालना करतें हुए पूरी रात मूस्तैदी के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन में फंसे घायलों और मृतकों को निकलावा कर सुरक्षित गंतव्य तक पहूंचाया।
और वहां मौजूद परिजनों को संबल और विश्वास बंधाने में अपनी अहम भूमिका निभाई।
सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह कि अमरनाथ में आक्सीजन का स्तर बहुत कर रहता हैं और स्वस्थ व्यक्ति भी हांफने लग जाता हैं ऐसी आपदा में युवाओं का डट कर रेस्क्यू ऑपरेशन में भाग लेना काबिले तारीफ है।
वहीं बस्सी निवासी गणपत सुनार अपने साथियों से बिछड़ने के बाद बालटाल के रास्ते करीब 15 पन्द्रह किलोमीटर पैदल चलकर बालटाल सुरक्षित शिविर में पहूंचे।
वहीं सुनार ने बताया कि बालटाल के दूर्गम रास्ते में पुरी रात सेना के जवान यात्रियों का हौसला अफजाई करते हुए सुरक्षित पहूंचाने में हर संभव मदद की।
आपदा के समय वहां मौजूद चित्तौड़गढ़ पंचायत समिति के पूर्व उपप्रधान सी. पी. नामधरानी के छोटे भाई ओम प्रकाश नामधराणी भी करीब पिछले 15-17 सालों से अमरनाथ यात्रा के दौरान लंगर में नियमित रूप से सेवाएं देते आ रहें हैं।
उन्होंने बताया कि आपदा के बाद सब कुछ तहस नहस हो गया कुछ भी नहीं बचा। भोले की कृपा की सब सकुशल हैं।
और पूरी रात रेस्क्यू ऑपरेशन में फंसे लोगों को सुरक्षित गंतव्य तक पहुंचाने में मदद कर अब बस्सी कस्बे के युवा बालटाल के रास्ते रवाना हो चुके हैं।