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पंचायत समिति चित्तौड़गढ़ की खुल गई पोल निर्माण कार्यों में पोलमपोल।

 

वीरधरा न्यूज़।चित्तोड़गढ़@डेस्क।
चितौड़गढ़।यूं तो पंचायती राज विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले विकास कार्यों को लेकर मजबूती प्रदान करने के लिए पंचायत समिति और ग्राम पंचायत स्तर तक की संस्थाओं का गठन किया गया है लेकिन अब इन संस्थाओं द्वारा किए जाने वाले निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार पनपने लगा है। ऐसा ही मामला चित्तौड़गढ़ पंचायत समिति में सामने आया है जहां की प्रधान महिला देवेंद्र कंवर है। लेकिन इसके बावजूद यहां भ्रष्टाचार चरम पर है। हालातों को देखकर यह लगने लगा है कि पंचायत समिति अब सरकार की संस्था ना होकर नाथी का बड़ा बन गई है। दरअसल पंचायत समिति परिसर में पंचायत समिति कर्मचारियों के रहने के लिए आवास बनाए गए हैं और इन आवास के जीर्णोद्धार के लिए वित्तीय स्वीकृति ली गई है। लेकिन यहां मनमाने तरीके से ठेकेदार द्वारा काम किया जा रहा है हालात यह है कि जिन आवासों की वित्तीय स्वीकृति नहीं है उन पर भी निर्माण कार्य कर दिया गया है वही एक महिला कार्मिक को आवंटित आवास में महिला के मन मुताबिक ठेकेदार द्वारा नियम विपरीत काम कराया जा रहा है। ठेकेदार और उसके इंजीनियर तो मौके से गायब है लेकिन यहां दिहाड़ी करने वाले स्क्वायर फीट पर काम करने वाले मजदूर काम को अंजाम दे रहे हैं जबकि नियमों की बात की जाए तो पंचायती राज के कार्यों में विधिवत मस्टररोल के आधार पर प्रतिदिन लेबर टास्क के आधार पर भुगतान करना होता है और उन समस्त सरकारी निर्माण कार्यों में उच्च स्तरीय तकनीकी अधिकारियों का नियमित तकनीकी निरीक्षण नियमानुसार किया जाना आवश्यक है लेकिन जिस ठेकेदार को काम दिया गया है वह किस तरह काम करवा रहा है कि उसके कर्मचारी कुछ बयान कर रहे हैं। इस पूरे मामले में विकास अधिकारी कैलाश चंद्र का भी कहना है कि शिकायतें मिली है जिसकी नियमानुसार जांच की जाएगी लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है ऐसे में यह लगने लगा है कि इस परिसर में चल रहे निर्माण कार्य में जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों की भी अनियमितताओं को लेकर मौन स्वीकृति है। अब देखने वाली बात होगी कि इस तरह के कार्यों में हो रही अनियमितताओं को लेकर मामला सामने आने के बाद किस तरह की कार्रवाई अमल में लाई जाती है।
आपको बता दें कि पंचायती राज में पंचायत समिति द्वारा स्वीकृत कार्यों को कराने के लिए कार्यकारी एजेंसी को स्वीकृति प्रदान की जाती है जिनको कार्य के तकमीने के अनुसार लेबर पार्ट का मस्टर रोल नियमानुसार पारित किया जाता है एवं मेटेरियल पार्ट का अलग से तकनीकी पंचायती राज मार्ग निर्देशिका एवं मूल्यांकन के आधार पर कार्यकारी एजेंसी द्वारा बिल एवं मस्टररोल प्रस्तुत करने के बाद भुगतान दिया जाता है कार्य पूर्ण होने के बाद उस कार्य का उपयोगिता और पूर्णता प्रमाण पत्र भी सक्षम तकनीकी अधिकारी द्वारा मौका निरीक्षण करने के बाद जारी किया जाता है। जबकि यहां इस मामले में यह प्रतीत हो रहा है कि इस कार्य में मस्टरोल के आधार पर मजदूरों का नियोजन और मेटेरियल पार्ट खपत के आधार पर असल की बजाएं नकली बिलों के आधार पर अधिक भुगतान कराया जा रहा है जो कि कार्य में बहुत बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहा है।

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