वीरधरा न्यूज।भूपालसागर@ श्री शेख सिराजुद्दीन।
भूपालसागर। ऐ मोमिनो नियाज दिलाओ इमाम की, भाखर के लाल साहिबे-आली मकाम की…। मुरादों-मन्नतों से जुड़ी हजरत इमाम जाफर सादिक की याद में कूण्डे की नियाज गुरुवार को आकोला में अकीदत व एहतराम के साथ दिलाई गई। सभी जगह इमाम जाफर के कूंडों की नियाज की फातेहा लगाई गई। इस दौरान खीर पुडी एवं घरों में व्यंजन बना कर मिट्टी के कूंडों में रखे गए। कूंडे के मौके मुस्लिम समाज के घरों में महिलाओं ने खीर-पूड़ी बना कर घरों के एक पवित्र कोने में मिट्टी के कूण्डों में रख कर वहां नियाज दिलवाई। साथ ही बच्चों रिश्तेदारों और पड़ोसियों को बुला-बुला कर बतौर तबर्रुक (प्रसाद) का सेवन करवाया। अलग-अलग घरों में मन्नत और हैसियत के मुताबिक व्यंजन बना कर शीरीनी पर फातेहा लगवाई गई।
*कूंडे शरीफ की नियाज*
नियाज खाने और खिलाने को लेकर सुबह से रात तक बच्चों और महिलाओं में विशेष उत्साह देखा गया। मीठी टिकिया आदि व्यंजन बना कर मिट्टी के कूंडों में रखे जाते हैं। इसलिए आम बोलचाल में इसे कूंडे शरीफ की नियाज कहते हैं। नियाज घर पर बुला कर ही खिलाई जाती है। इसका तबर्रुक किसी के यहां नहीं भेजा जाता। कूंडे के कारण किराणा की दुकानों पर सूजी, मैदा, शक्कर आदि और कुम्हारों के यहां कूंडों की खूब बिक्री हुई।
*कूंडे की नियाज का महत्व*
बरेली शरीफ से जुडे धर्म गुुरु आला हजरत के मुताबिक बहारे शरियत में उल्लेख मिलता है कि हजरत इमाम जफर सादिक की याद में उनके ईसाले सवाब के लिए कूंडे भरना जाइज है। इसका अर्थ है कि रजब के पवित्र माह में यह विशिष्ट फातेहा लगाना चाहिए।
मुफ्ती मौलाना आलमगीर ने बताया कि हजरत इमाम जाफर सादिक की याद में नियाज दिलाई जाती है। हिजरी साल के रजब महीने में इमाम जाफर सादिक की नियाज लगाना जाइज और दुरुस्त है। इस त्यौहार को कुन्डा ईद भी कहते है।