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भूपालसागर-रेडियो का रहा है अपना स्वर्णिम दौर, परन्तु अब रेडियो आम जीवन से लुप्त होने की कगार पर।

वीरधरा न्यूज। भूपालसागर@ श्री शेख सिराजुद्दीन।

भूपालसागर। 13 फरवरी को पूरे विश्व में रेडियो दिवस के रूप में मनाया जाता है । मोबाइल और इंटरनेट के इस दौर में आज भी रेडियो के लिए लोगों की दीवानगी देखने को मिलती है। समय के साथ – साथ रेडियो के स्वरूप में भी बदलाव हुआ है। लेकिन फिर भी इसकी लोकप्रियता बरकरार है। वहीं प्रधानमंत्री मोदी के खास कार्यक्रम मन की बात ने भी लोगों के अंदर रेडियो के प्रति दीवानगी को और भी बढ़ाया है। फिलहाल इस बात की कल्पना करना ही कठिन है कि कोई व्यक्ति इस सोशल मीडिया के जमाने में इंटरनेट व आधुनिक युग में भी रेडियो सुनता हो।
आकोला के गांव के रहने वाले रेडियो प्रेमी रोड़ीलाल छीपा नामक जिस व्यक्ति का जिक्र हम कर रहे हैं इसी विशेषता के चलते रेडियो माध्यम के जानकारों का एक प्रकार से चहेता है। आकाशवाणी श्रोता रोड़ीलाल से मिलने और बात करने पर उसके रेडियो प्रेम का पता चलता है। रेडियो हमारी जिंदगी का अहम अंग है। आवाज की दुनिया में रेडियो नायक बनकर उभरा और अपनी भूमिका को बरकरार रखे हुए हैं। संचार के माध्यम भले ही बदले हों लेकिन रेडियो अपनी प्रासंगिकता को बनाए रखा है। ऑल इंडिया रेडियो और फिर आकाशवाणी के जरिये रेडियो ने देश में जगह बनाई।
13 फरवरी आज विश्व रेडियो दिवस पर हमारे रिपोर्टर 70 वर्ष पुराना रेडियो चलाने वाले व रेडियो के शौकीन रोडीलाल छिपा के यहा पहुचे तो 70 वर्ष पुराना 5 बैंड का रेडियो सुन रहे थे, तो पत्रकार सिराजुद्दीन शेख ने पुछा तो बताया कि ये 5 बैंड का रेडियो है जो लगभग 70 वर्ष पुराना है। साथ ही बताया कि अंदर मेडईन हालैण्ड 5 बैंड, मेडईन जापान जो यह पीछे पडा है । और भी कही तरह के रेडियो का संकलन इनके पास मौजूद है। इनके पास चूडी वाला बाजा भी मौजूद है जो बिना लाईट, बेटरी के चलता है। जिसे हाथ से चाबी गुमा कर चलाया जाता है। रोडीलाल ने बताया की तकनीक बदली है लेकिन आज भी लोकप्रियता बरकरार है। पीएम नरेंद्र मोदी की मन की बात, समाचार, मनोरंजन कहानिया, क्रिकेट कोमेंट्री, बीबीसी, आकाशवाणी समाचार इसी रेडियो से सुनता हूं। आज विश्व रेडियो दिवस भी है। आज भी ये रेडियो नया का नया है में इन रेडियो की बहुत देखरेख रखता हूं। भले ही डिजिटल तकनीक बदली हो लेकिन मुझे अन्य देखना सुनने से बदतर में रेडियो ही मानता हूं , में यही सुनता हूं। रोडीलाल छिपा का दुकान पर कम समय व घर पर आराम करके समय रेडियो के साथ ही व्यतित करते है। घर पर हो या दुकान पर रेडियो सुनना इनका शोक है।

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