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डुंगला-काश्तकार वर्ग अपनी फसलों को शीतलहर से बचाने की जुगत में नए झुगाड़ का कर रहा प्रयोग क्षेत्र में ऐसा पहला मौका।

वीरधरा न्यूज़।डुंगला@ श्री पवन अग्रवाल।
डुंगला।पिछले तीन दिनों से लगातार मौसम में बदलाव के चलते शीतलहर जारी है शीतलहर के चलते जहां एक और मवेशी परेशान वही काश्तकार वर्ग भी इससे अछूता नहीं है काश्तकार वर्ग चिंताओं की रेखाएं साफ झलक रही है। फसलों पर पाला पड़ने जैसी समस्या से कास्तकार वर्ग परेशान दिखाई दिया। इसी संदर्भ में चिकारड़ा में काश्तकारों द्वारा पपीते के पौधों को पाले से बचाने के लिए नाना प्रकार के जुगत कर रहा है। काश्तकार विष्णु खंडेलवाल द्वारा बताया गया कि पपीते के पौधों को पाले से बचाने के लिए खेतों में बांस की लकड़ी को तिपहिया बनाकर उस पर प्लास्टिक के कट्टे लगाकर फिर उसके ऊपर कपड़ा बांधकर पौधों को पाले से बचाने की जुगत में लगा हुआ है मेहनत तो बहुत है लेकिन करें भी क्या फसल को जो पाले से बचाना है। उनके द्वारा बताया गया कि क्षेत्र में पाले से बचाव के लिए यह पहली बार ऐसा जुगाड़ देखने को मिला। फल सब्जियां भी शीतलहर की चपेट में आने से जलकर खत्म हो गई।  शीतलहर के चलते ग्रामीण धुज उठा। सवेरे शाम अलाव का सहारा लेकर अपने आप को सुरक्षित महसूस कराने में लगा हुआ है वही रात्रि का तापमान दिन की अपेक्षा आधे से कम रह जाता है रात्रि में 5 से 7 डिग्री तक तापमान रहता है वही दिन का तापमान 15 से 20 डिग्री पहुंच जाता है इसके चलते काश्तकारों को खेतों में पारित करने पर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं लेकिन आखिर कहे तो किसे मार तो प्रकृति की है उसको कौन चैलेंज कर सकता काश्तकार दलित चंद ने बताया कि किसान मेहनत कर कर फसल को बड़ा करता है लेकिन कभी प्रकृति की मार तो कभी नीलगाय तो कभी बरसात के चलते कार्यकाल कितना भी कुछ भी कर ले लेकिन हाथ में कुछ भी नहीं आता और जो पैसा खेतों में लगाया गया वह भी जेब से देना पड़ता है इन दिनों पाला पड़ने जैसी शिकायत को लेकर काश्तकार वर्ग सावचेत रहते हुए अपनी फसलों को बचाने के जुगाड़ में लगा हुआ है । फल सब्जियां भी शीतलहर की चपेट में आने से जलकर खत्म हो गई। शीतलहर के चलते ग्रामीण धुज उठा। सवेरे शाम अलाव का सहारा लेकर अपने आप को सुरक्षित महसूस कराने में लगा हुआ है वही रात्रि का तापमान दिन की अपेक्षा आधे से कम रह जाता है रात्रि में 5 से 7 डिग्री तक तापमान रहता है वही दिन का तापमान 15 से 20 डिग्री पहुंच जाता है इसके चलते काश्तकारों को खेतों में पारित करने पर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं लेकिन आखिर कहे तो किसे मार तो प्रकृति की है उसको कौन चैलेंज कर सकता।

इनका कहना

शीत लहर पाले से पपीता फसल को बचाने के लिए हमारे द्वारा एक बांस को चीर कर 4 प्रतियां बनाई गई जिनको 5 से 8 फीट लंबाई की काट कर 3 प्रतियों को जोड़कर एक स्टैंड बनाया गया जिसको खेत में लगा कर उस पर सीमेंट का हो या खाद का खाली थैला उस पर पिरो दिया गया तथा फिर ऊपर से कपड़ा बांध दिया गया इस प्रकार जुगाड़ कर पपीते की फसल को बचाने में लगे हुए है।
-काश्तकार विष्णु खंडेलवाल।

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