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बानसेन कस्बे की पारस देवी जाट ने की मिसाल पेश, तुलसी विवाह के साथ दो अन्य कन्याओं का धर्म विवाह करा कर ग्रामीणों के लिए मंगलकामनाएं की।

वीरधरा न्यूज़।चित्तोडगढ़@ श्री नरेन्द्र सेठिया भादसोडा।
चित्तोडगढ़/ बानसेन।लोग बेटियों को बोझ ना समझे इसी विचार को लेकर के बानसेन की पारस देवी जाट ने तुलसी विवाह के साथ दो अन्य कन्याओं का निशुल्क धर्म विवाह कराया और दहेज भी दिया।
बानसेन कस्बे की पारस देवी जाट पति स्व उकार लाल कुड़ी ने तुलसी विवाह के साथ दो अन्य निर्धन परिवार की कन्याओं का बुधवार को धर्म विवाह कराकर करीब 10 गांवो को न्योता दे कर के लोगो को विवाह में सम्मिलित किया। करीब 8 से 10 हजार लोगों ने धर्म विवाह में भाग लिया। पारस देवी ने विवाह में करीब 30 लाख रूपए खर्च कर 2 निर्धन परिवार के बालिकाओं को एवं तुलसी विवाह में ठाकुर जी सहित निशुल्क धर्म विवाह कराया गया। बालिकाओं को बाराती एवं बारात बुलाकर के दहेज भी दिया गया प्रीतिभोज आयोजन में विभिन्न प्रकार के 5 तरह के व्यंजन बना करके बारातियों एवं घरातीयों भोज कराया, शादी में बैंड बाजे एवं आकर्षक कठपुतलियां एवं शहनाई वादन, सुंदर टेंट हाउस, शानो शौकत के साथ उत्साह पूर्वक धर्म विवाह कराया गया जिसमें कपासन विधायक अर्जुनलाल जीनगर, चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या, जिला परिषद सदस्य कैलाश चंद्र जाट, श्रीनिवास लड्ढा सहित कई जनप्रतिनिधियों ने धर्म विवाह में उपस्थिति दी।
पारस देवी जाट ने बताया कि 20 वर्ष पूर्व उनके पति स्वर्गीय उकार लाल जाट एवं पुत्री की दुर्घटना में मृत्यु हो गई उसके बाद परिवार में वह सिर्फ एक अकेली महिला है पारस देवी के परिवार में माता-पिता, पति पुत्र पुत्री कोई भी नहीं है। ऐसे में वह ग्रामीणों के लिए मंगल कामनाओं को लेकर के तुलसी विवाह एवं दो निर्धन कन्याओं को धर्म विवाह करा कर के गांव एवं क्षेत्र में अच्छा संदेश देने के लिए बुधवार को धर्म विवाह कराया। बुधवार को पारस देवी के यहां पर दो बालिकाओं की एवं एक तुलसी के लिए ठाकुर जी की 3 बारातें घर पहुंची। जिसकी पारस देवी एवं ग्रामीणों ने स्वागत सत्कार कर पाणीग्रहण संस्कार कराया। पारस देवी के अनुसार लोग गरीब परिवारों को सहयोग प्रदान करे व और भी लोग ऐसे मामलों में आगे आए तो एक बेहतर समाज का निर्माण होगा। जो लोग अपनी बेटियों का विवाह बड़ी मुश्किल से करा पाते हैं उन्हें लोगों का सहयोग मिले और बेटी को कोई समाज में बोझ नहीं समझे। इसी विचार को लेकर के धर्म विवाह का आयोजन किया गया।

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