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चित्तौडगढ दूर्ग के कुंड व तालबो से रहस्यमय तरीके से मच्छलियो की सख्या हो रही कम आखिर जिम्मेदार क्यो बेठे मौन।

वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@डेस्क।
विश्व प्रसिद्ध चित्तौडगढ दूर्ग सोर्य, त्याग, भक्ति स्वाभीमान व क्षत्राणियो के जौहर से पहचाना जाता है ,इस दूर्ग पर गोमुख, रतनसिह कुण्ड ,भीम लत, सहित दर्जनो जलस्त्रोत है , उनमे से पीछले कुछ समय पहले गोमुख कुण्ड मे हजारो मच्छलिया काल का ग्रास बन चुकी है, जिसको लेकर मत्स्य विभाग ओर पुरात्व विभाग एक दूसरे पर ठिकरा फोडते दिखे। दूर्ग पर पुरात्व विभाग का एकाअधिकार है। दूर्ग पर बने एतिहासिक स्थलो मंदिरो की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुरात्व विभाग के अधिकारीयो की है। पुरात्व विभाग द्वारा दूर्ग की सुरक्षा पर प्रतिमाह हजारो का बजट खर्च कर रही है। 40 से अधिक सुरक्षा कर्मी दूर्ग पर तेनात कर रखे है, वही स्थानिय प्रशासन द्वारा पुलिस चोकी भी दूर्ग पर स्थापित है उसके बावजूद दूर्ग पर स्थित जलाशयो से मछलीयो का शिकार होना व मछलीयो का रहसमय तरीके से गायब होना पुरात्व विभाग की सुरक्षा मे बडी चुक मानी जा सकती है। पुरात्व विभाग की मिलीभगत से मछलीयो के गायब होने ये कही सवाल है जिनके जवाब भविष्य के गर्त मे छूपे है ।
है वही दूर्ग पर कुछ दिनो से कालिका माता मंदिर के सामने स्थित तालाब व कुंड से मच्छलियो के रहस्य मय तरीके से गायब होने से चित्तौडगढ शहर के पर्यावरण प्रेमयो व जीव प्रेमियो में
चिन्ता देखी जा रही है उसी को लेकर इन लोगो ने दूर्ग स्थित जलाशय़ मे मच्छलीयो के रहस्यमय तरीके से गायब होने व अवैध मछलियो के शिकार पर रोक लगाने व दोषियों को पकड कर सजा दिलाने को लेकर, कोतवाली थाने मे परिवाद दर्ज करवाकर जाच की माग की है वही पुरातत्व विभाग व मत्स्य विभाग के अधिकारी जान कर भी अनजान बन बैठे है। जब उन से बात करना चाई तो अधिकारीयो ने केमरे के सामने कुछ भी कहने से मनाकर दिया, जिससे लगता है की मच्छलियो के कम होने मे ईन विभागो के अधिकारियों की मिली भगत से भी इनकार नही किया जा सकता है।

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