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नागौर/मेड़ता रोड-भाई ने बहन के भरा सवा छह:लाख का मायरा राजस्थान में मायरा की है अनूठी रस्म।

वीरधरा न्यूज़।मेड़ता रोड@ श्री एजाज़ अहमद उस्मानी।
मेड़ता रोड़।अनूठे प्यारे मामा के लिए प्रसिद्ध राजस्थान के नागौर में एक बार फिर मायरा चर्चा में है। यहां किसान भाई अपने भांजे की शादी में दो बोरे नोट लेकर पहुंचा। मायरे के लिए किसान ढाई साल से पैसा इकट्ठा कर रहा था। रविवार रात को उसने मायरे में टोकरी खाली कर दी। खारी में 10 10 के नोटों को रखा गया कुल सवाल 600000 मायरे में भरे गए। यह पैसे गिनने में भी 8 पंचों को 3 घंटे का समय लगा।
मामला नागौर जिले के मेड़ता रोड के निकटवर्ती देशवाल गांव का है एक शादी में अनोखे अंदाज में मायरे की रस्म अदा की गई। आदमी यहां किसानी से अपना जीवन यापन करने वाले तीन भाई अपने भांजे की शादी में बहन के ससुराल नोटों के बारे प्लास्टिक के बोरे को लेकर पहुंचे फिर इसे नाते रिश्तेदार और समाज के पांच पटेलों की मौजूदगी में खेती-बाड़ी के काम में लिए जाने वाली खारी में खारी कर मायरा भरा गया। प्लास्टिक बोरी में सभी नोट 10 -10 के थे और कुल सवा 600000 नगद का मायरा भरा गया इसके अलावा सोने-चांदी के आभूषण भी उपहार स्वरूप मायरे में दिए गए। जिले के देशवाल गांव की रहने वाली सीपू देवी के बेटे हिम्मताराम जाट के अनोखे अंदाज में मायरा भरा। तीनो भाई मारे में भरी जाने वाली नगदी को प्लास्टिक के बोरे में भरकर लाए थे। इसके बाद प्लास्टिक बोरी में भरी नकली को पंच पटेल और नातेदार रिश्तेदार की मौजूदगी में खारी में खारी कर दिया। खाली में खाली किए गए नोट 10- 10 के थे।
ढाई साल से जमा कर रहे थे 10- 10 के नोट।
मायरा भरने वाले किसान रामनिवास जाट ने बताया कि किसान बेटों के पिता से संपत्ति के रूप में खेती के लिए जमीन पर फसल जमा बाकी और मिलान करने के लिए नौकरी मिलती है ससुराल जाने के बाद पिता से मिली संपत्ति पर अपना हक छोड़ देती हैं इसके चलते उनके मन में ख्याल आया कि अब वह मायने में टोकरी भर कर रुपए ले जाएंगे लेकिन आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी और इसे भरने के लिए काफी रुपयों की जरूरत थी इसलिए तीनों भाइयों ने 10 -10 के नोट जमा करना शुरू किया और ढाई साल में बाकी कुल सवा 600000 जमा हुए। रामनिवास ने बताया कि उनकी दो बहने और इससे पहले भी वह 3 महीने भर चुके हैं यह चौथा और अंतिम मायरा था।
हॉट पंच पटेलों ने 3 घंटे में गिने सवा लाख रुपए
इसके बाद आठ पंच पटेलों ने सभी नोटों की गिनती शुरु की करीबन 3 घंटों की गिनती के बाद खारी में कुल सवा 600000 काउंट हुए । इस दौरान शादी में मौजूद हर महिला पुरुष टकटकी लगाकर बैठे रहे मायने में खारी भरकर लाए रुपयों के लिए हर किसी ने तीनों भाइयों की जमकर तारीफ की।
नागौर का प्रसिद्ध मायरा।
मारवाड़ में नागौर के मायरे को काफी सम्मान की नजर से देखा जाता है मुगल शासन के दौरान यहां के खियाला और जायल के जाटों द्वारा लिछमा गुजरी को अपनी बहन मानकर भरे गए मेरे को तो महिलाएं लोकगीतों में गाती हैं। कहां जाता है कि यहां के धर्माराम जाट और गोपाल राम जाट मुगल शासन में बादशाह के लिए टैक्स कलेक्शन कर दिल्ली दरबार में ले जाकर जमा करने का काम करते थे।
इस दौरान एक बार जब वोट टैक्स कलेक्शन कर दिल्ली जा रहे थे तो उन्हें बीच रास्ते में रोती हुई लिछमा गुजरी मिली। उसने बताया कि उसके कोई भाई नहीं है और अब उसके बच्चों की शादी में मायरा कौन लाएगा? इस पर धर्माराम और गोपाल राम ने लिछमा गुजरी के भाई बन टैक्स कलेक्शन के सारे रुपए और सामग्री से मारा भर दिया बादशाह ने पूरी बात जानकर दोनों को सजा देने के बजाय माफ कर दिया था।

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