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दुखों को कम करना है तो इच्छाओं को कम करना बहुत आवश्यक है: डॉ समकित मुनि।

वीरधरा न्यूज़।चित्तोडगढ़@डेस्क।
चित्तौड़गढ़। समकित के संग समकित की यात्रा स्ट्रेसफुल लाइफ का सॉल्यूशन प्रवचन श्रृंखला के क्रम में रविवार को खातर महल में डॉ समकित मुनि ने 27 दिवसीय उत्तराध्ययन सूत्र के अध्ययन में अपने प्रवचन में कहा कि धर्म श्रद्धा से संसार के सुखों में आनंद नहीं मिलेगा। धर्म श्रद्धा से जीवन संतान के स्थान पर संत दर्शन करने से सुख प्राप्त होता है। गुरुजनों व स्वधर्मी बंधुओं की सेवा करने से सभी उत्तम कार्य सिद्ध हो जाते हैं ।गुरु वंदना से अप्रतिहत सौभाग्य भी प्राप्त हो जाता है। अप्रतिहत सौभाग्य उसे कहते हैं जिसका भाग्य कभी सौभाग्य से दुर्भाग्य में नहीं बदलता है ।ऐसे व्यक्तियों द्वारा किसी को जो भी बोल दिया जाता है तो उसका होना निश्चित हो जाता है। पचखाण से इच्छा का त्याग होता है। इच्छा का त्याग करने से परम शांति मिलती है। दसवें कालिक सूत्र में जिक्र हुआ है कि दुखों को कम करना है तो इच्छाओं को कम करना बहुत आवश्यक है।
प्रचार मंत्री सुधीर जैन ने बताया कि प्रवचन में भवान्त मुनि म सा ,साध्वी विशुद्धि म सा,साध्वी विशाखा म सा विराजित रहे।

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