वीरधरा न्यूज़।चित्तोडगढ़@डेस्क।
चित्तौड़गढ़।समकित के संग समकित की यात्रा स्ट्रेसफुल लाइफ का सॉल्यूशन प्रवचन श्रृंखला के क्रम में रविवार को खातर महल में डॉ समकित मुनि ने अपने प्रवचन में कहा कि
पूजा समझदारों की होनी चाहिए जो स्वयं भी संभलता है और अन्यों को भी संभालता है। जो मिटाने का नहीं बनाने की कला जानता है।जो स्वयं शिखर पर पहुंचने के भाव रखते हुए दूसरों को भी शिखर तक पहुंचा देता है ऐसे व्यक्तित्व बहुश्रुत कहे जाते हैं जो पूजा के योग्य होते है। डॉ समकित मुनि ने कहा कि पांच कारण हैं जिनसे जीवन में विद्या नहीँ आती। अभिमानी चाहे वह पढ़ा लिखा हो पर जो आदमी होकर भी झुकना नहीँ जानता हो और खंभे के समान हो वो शाब्दिक ज्ञान तो प्राप्त कर सकता है पर असली ज्ञान या विद्या कभी प्राप्त नहीँ कर सकता। इसी प्रकार क्रोधी ,प्रमाद करने वाला,रोगी और आलस करने वाला भी विद्या प्राप्त नहीं कर सकता। विद्या वही प्राप्त कर सकता है जो अधिक मख़ौल न करता हो,जो इंद्रियों का दमन करता हो,लोलुप न हो,क्रोधरहित होऔर सत्य का भाषण करता हो । उन्होंने कहा कि अविनित व्यक्ति छोटी छोटी बातों पर गुस्सा होने वाला या गुस्से का प्रबंध करने वाला, झगड़ालू प्रवृत्ति वाला,अभिमानी, पाप का प्रायश्चित नहीं करने वाला और मित्रों की निन्दा करता है जिसके कार्य कभी सिद्ध नहीं होते है। स्वयं की प्रकृति को सकारात्मकता रखेंगे तो सभी का व्यवहार आपके प्रति सदभावी रहेगा।
खीझ क्रोध अविवेक अभिमान करके कैसे कोई लोकप्रिय हो सकता है? विषधर सांप को मार दिया जाता है किन्तु निर्विष सांप को छोड़ दिया जाता है।
धर्म गंगा में स्नान महा स्नान होता है। तप अग्नि रूप होता है,जीवन का शांति तीर्थ ब्रह्मचर्य कहा जाता है। स्वयं के जीवन में ऐसा परिवर्तन लाकर धर्म और परमात्मा की वाणी से जुड़ें।
श्रीसंघ प्रचार मंत्री सुधीर जैन ने बताया कि इस चातुर्मास की अभी तक की सबसे बड़ी तपस्या करने वाले वरिष्ठ श्रावक सुरेश बोहरा को जिनकी आयु 70 वर्ष है उन्हें डॉ समकित मुनि ने 44 वें उपवास के प्रत्याख्यान दिलाये और उनकी कठिन तपस्या की श्रीसंघ अध्यक्ष हस्तीमल चोरड़िया सहित उपस्थित श्रावक श्राविकाओं ने बारम्बार अनुमोदना की । प्रवचन में भवान्त मुनि म सा ,साध्वी विशुद्धि म सा,साध्वी विशाखा म सा विराजित रहे। कार्यक्रम का संचालन श्रीसंघ मंत्री अजीत नाहर ने किया।
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