जयपुर
बिना फीस कैसे चलाएं स्कूल? 11 लाख कर्मचारियों के सामने रोजगार का संकट
फीस कटौती पर सरकार के खिलाफ निजी स्कूलों ने किया ऐलान
शिक्षा विभाग की ओर से निजी स्कूलों की फीस को लेकर निकाले गए आदेश के खिलाफ राजस्थान के निजी स्कूल लामबंद हो गए हैं। उनका कहना है, फीस नहीं आने से निजी स्कूलों की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है। वे 11 लाख कर्मचारियों को वेतन का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। सरकार ने अगर 4 नवंबर तक फीस को लेकर उनकी समस्याओं को समाधान नहीं किया तो प्रदेश के 50 हजार निजी स्कूल 5 नवंबर से अनिश्चितकाल के लिए बंद रहेंगे।
माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने 28 अक्टूबर को ‘जितना सिलेबस, उतनी फीस’ वसूलने के आदेश जारी किए थे। इसके विरोध में निजी स्कूल संगठन अब एक मंच पर आ गए हैं। निजी स्कूलों के संगठन फोरम ऑफ प्राइवेट स्कूल्स ऑफ राजस्थान ने सोमवार को ऐलान किया कि 5 नवंबर से शटडाउन पर रहने वाले स्कूलों में सीबीएसई, राजस्थान बोर्ड, आईबी बोर्ड से जुड़े निजी स्कूलों के साथ मिशनरीज स्कूल भी शामिल हैं। इस दौरान स्कूलों में न तो कोई ऑनलाइन कक्षाएं होंगी और न ही फिजिकल कक्षाएं लगेंगी।
सोमवार को संगठन से जुड़े एडवर्ड ओलिवेरा, डॉ. संदीप बक्शी, दीपक सिंह, अनिल शर्मा, हेमलता शर्मा, अशोक वैद व भारत सिंह ने प्रेसवार्ता में कहा कि सरकार के मुखिया हमारी बात सुनें। हम स्कूलों को बंद करने का निर्णय मजबूरी में ले रहे हैं। सरकार ही बताए कि हम बिना फीस स्कूल कैसे चलाएं। हमें सरकार पैसा दे, हम अभिभावकों से नहीं मांगेंगे। चेतावनी दी कि यदि समस्या का समाधान न हुआ तो राष्ट्रव्यापी आंदोलन करेंगे।
तर्क; बिना फीस कैसे चलाएं स्कूल? 11 लाख कर्मचारियों के सामने रोजगार का संकट
ये हैं 5 प्रमुख मांगें
फीस का मामला जब तक कोर्ट में लंबित है, हाईकोर्ट की एकल पीठ के निर्णय को तुरंत प्रभाव से लागू करें।
28 अक्टूबर के आदेश पर सरकार को फिर से विचार करना चाहिए।
नवंबर तक की बकाया फीस दिवाली से पहले जमा कराई जाए।
निजी स्कूलों को आर्थिक पैकेज दें।
राज्य सरकार आरटीई का बकाया भुगतान दीपावली से पहले करे।
मिशनरीज स्कूलों ने शिक्षा दान को ही धर्म मानते हुए राजस्थान में शिक्षा और ज्ञान का प्रचार प्रसार किया है। पिछले 7 माह से निजी स्कूलों की अनदेखी की जा रही है। हमें राज्य सरकार से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है।
– एडवर्ड ओलिवेरा, संचालक मिशनरीज स्कूल्स
स्कूलों की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है। हमें लगता है कि हमारी समस्या ठीक तरह से मुख्यमंत्री जी तक नहीं पहुंचाई गई है। हमें भरोसा है कि अगर उन तक हमारी बात पहुंचेगी तो जल्द से जल्द समाधान हो जाएगा।
– डॉ. संदीप बक्शी, निजी स्कूल संचालक
सरकारी रवैये के कारण निजी स्कूलों की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। उनके रोजमर्रा के खर्चे तक नहीं चल पा रहे। ना ही स्टाफ को वेतन दे पा रहे हैं। इस कारण स्कूल बंद करने का निर्णय लिया।
-अशोक वैद, सदस्य, फोरम ऑफ प्राइवेट स्कूल्स ऑफ राजस्थान