वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@डेस्क।
चित्तौड़गढ़।आगमज्ञाता,वाणी के जादूगर,पूज्य डॉ समकित मुनि ने बुधवार को खातर महल में अपने चातुर्मासिक प्रवचन में कहा कि आगम कार कहते हैं कि बोलने के बाद पश्चाताप करना पड़े ऐसे शब्द कभी नहीं बोलने चाहिए। हमें बोलते वक्त शब्दों की लक्ष्मण रेखा कभी लांघनी नहीं चाहिए ।दुनिया में सबसे ज्यादा कलह शब्दों से ही होती है। जब जब हमारे शब्द अंगारे बनते हैं तब तब हमारी जिंदगी कोयला बन जाती है। इसलिए शब्दों को कभी अंगारा नहीं बनाना चाहिए। रिश्तो की शिकंजी में जब शब्दों की मिठास मिलाते हैं तो जिंदगी में कभी भी खटास नहीं आ सकती है। आगम कार कहते हैं कि शब्दों के कांटे लोहे के कांटों से भी भयंकर होते हैं ।लोहे के घाव तो कुछ समय बाद ठीक हो जाते हैं लेकिन शब्दों के कांटे जिंदगी भर ठीक नहीं हो सकते हैं। शब्द बोलते समय विवेक का पूरा उपयोग करना चाहिए।
डॉ समकित मुनि ने वर्चुअल प्रवचन में फेस बुक और यू ट्यूब पर लाइव देख रहे श्रावक श्राविकाओं से कहा कि
मुसीबतों से बचना है तो ऐसे शब्द कभी भी मत बोलो जो खुद के ही द्वारा बोले गए शब्दों से तनाव को बढ़ा देते हैं।
उन्होंने एक मुक्तक सुनाते हुए कहा कि “शब्द बराबर धन नहीं, जो कोई जाने बोल, हीरा तो दामों में मिले शब्द मोल अनमोल” शब्द सबसे बड़ा धन है यदि हमें उसका उपयोग करना आ गया तो हमारा जीवन सफल हो जाएगा। जिसने कटु शब्द को हथियार बना लिया हो उसके लिए दुनिया कभी यार नहीं हो सकती। हमें जीवन में कटुता का पौधा कभी नहीं रोपना चाहिए।यदि शब्दों द्वारा कटुता का पौधा रोपा गया तो दुश्मनी के फल चखने ही होंगे। डॉक्टर समकित मुनि ने मीठा बोलने की प्रेरणा दी और कहा कि यदि मीठा खाने में परहेज नहीं तो मीठा बोलने में परहेज क्यों किया जाए। उन्होंने शुगर के मरीजों के लिए कहा कि उनके मीठा बोलने से शुगर नॉर्मल रहेगी और यदि कड़वा बोलेंगे तो शुगर बढ़ सकती है।
प्रचार मंत्री सुधीर जैन ने बताया कि धर्म सभा के प्रारंभ में महासती विशाखा म सा ने सुमधुर भजन प्रस्तुत किया व संचालन श्रीसंघ मंत्री अजीत नाहर ने किया।
आज धर्म सभा में 5 श्राविकाओं ने सात उपवास के प्रत्याख्यान लिए।