वीरधरा न्यूज़।चित्तौरगढ़@डेस्क।
चित्तौड़गढ़। हर व्यक्ति को औषधीय पौधों के फायदे पहुंचाने के लिए राज्य में ‘‘घर-घर औषधि योजना’’ की शुरूआत की गई है। योजना के तहत वन विभाग की पौधशालाओं में तुलसी, गिलोय, कालमेघ एवं अश्वगंधा के पौधे विकसित कर जिले के समस्त परिवारों को निशुल्क वितरण किए जाएगें। जिले की समस्त नर्सरियों में भी योजना को लेकर प्रभावी ढंग से काम हो रहा है और वनकर्मी दिन-रात आमजन के लिए पौधे तैयार करने में जुटे हुए हैं। डीएफओ सुगनाराम जाट के योजना को लेकर प्रभावी ढंग से मोनिटरिंग कर रहे हैं एवं सुनिश्चित कर रहे हैं कि योजना के क्रियान्वयन में कोई कमी न रह जाए।
घर-घर औषधी योजना अर्न्तगत प्रथम वर्ष (2021-22) में जिले के 50 प्रतिशत परिवारों अथवा जिले के 50 प्रतिशत ग्रामों को औषधीय पौधे उपलब्ध कराये जाने हेतु चित्तौड़गढ़ जिले को 1,63,751 परिवारों ( 50 प्रतिशत, जनगणना वर्ष 2011) हेतु 13 लाख 10 हजार 008 पौधे उपलब्ध कराए जाने का लक्ष्य दिया गया है। 5 वर्षों में तीन बार जिले के प्रत्येक परिवार को 8-8 औषधीय पौधे, यानी कुल 24 पौधे प्रत्येक परिवार को उपलब्ध कराए जायेंगे।
जिला कलक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक एवं चर्चा उपरान्त निर्णय अनुसार इस वित्तीय वर्ष 2021-22 में जिले के ग्रामीण क्षेत्र की समस्त ग्राम पंचायतों के मुख्यालय के सभी परिवारों एवं शहरी क्षेत्र के 83 वार्डों के समस्त परिवारों को पौध वितरण किया जाएगा। ब्लाक वाईज नर्सरी क्लस्टर बनाया जाकर पौधों की उपलब्धता हेतु विस्तृत प्लान तैयार किया गया है। विभिन्न औद्योगिक संस्थानों को भी पौध परिवहन एवं वितरण किट हेतु ब्लॉक (पंचायत समिति) आवंटित किये किए हैं। डीएफओ सुगनाराम जाट का कहना है कि पौधों के तैयार हो जाने के बाद यथासमय इनके वितरण का कार्य भी शुरू कर दिया जाएगा।
जानिए क्या है अश्वगंधा, कालमेघ, गिलोय और तुलसी के फायदे
आयुर्वेद विभाग के उपनिदेशक ललित कुमार शर्मा बताते हैं की घर-घर औषधि योजना के तहत दिए जा रहे अश्वगंधा, कालमेघ, गिलोय और तुलसी के पौधे बहुत फायदेमंद हैं। इनके उपयोग से आप कई बीमारियों को कोसों दूर रख सकते हैं।
तुलसी: स्मरण शक्ति, सूखी खांसी, दमा-खाश, गलरोग, त्वक रोग, अपच, मूत्रदाह, पीलिया, टाइफाइड, ज्वर, पीनस में लाभकारी एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक।
गिलोय: डायबिटीज, डेंगू, अपच, खांसी, ज्वर, एनीमिया, यकृत विकार एवं गठिया रोग में फायदेमंद।
कालमेघ: यकृत विकार, पुराने ज्वर, खून साफ करने, रक्त विकार, अम्लपित्त, उदर के रोग, गोनोरिया, स्तन विकार एवं शारीरिक दुर्बलता में फायदेमंद।
अश्वगंधा: स्मरण शक्ति एवं एकाग्रता बढ़ाने के लिए उपयोगी, जीर्णोद्धारक औषधि के रूप में जाना जाता है, एंटी ट्यूमर एवं एण्टी बायोटिक गुण पाए जाते हैं, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक।