साहित्यिक मित्र मंडल जबलपुर द्वारा भव्य ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना हेमा जैन ने प्रस्तुत किया। सम्मेलन का विषय “बंद दरवाजों पर दस्तक” था।जिसमें रचनाकारों ने अपनी कविताओं के माध्यम विभिन्न प्रकार की सावधानियां व संदेशात्मक संदेशों को काव्य सूत्र में पिरो सबके समक्ष प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी। संस्था संस्थापक विनय पान्डेय ने उद्बोधन में कहा कि दर्द हमें अक्सर उन लोगों से मिलता है जिन्हें हम दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार और ऐतबार करते हैं।सरंक्षक विनोद पांडेय ने सबको शुभकामनाएं देते हुये कुछ शायराना अंदाज में यूँ कहा कि “दिल पर दस्तक देने कौन आ निकला है …किस की आहट सुनता हूं वीराने में”।कार्यक्रम की मुख्य अतिथि गायत्री ठाकुर ‘सक्षम’ व अध्यक्षता चंदा डांगी, चित्तौड़गढ़ राजस्थान ने कहा कि ज़रूरी नहीं कि दस्तक या आहट हमेशा दरवाज़े पर भी हो, कई बार कुछ ख़ास मेहमान दिल पर भी दस्तक देते हैं। कार्यक्रम का संचालन डाॅ मीरा चौरसिया, करूणा जायसवाल व पूनम शर्मा स्नेहिल ने संयुक्त रूप से सफलता पूर्वक आयोजित किया गया। कार्यक्रम आयोजक मनु पांडेय ने सबका धन्यवाद ज्ञापन किया। मुख्य वक्ता के रूप में गजेन्द्र हरिहारनो ‘दीप’ शुरू से अंत तक जुड़े रहे व अपने शायराने अंदाज से अपनी काव्य प्रस्तुति से सबका दिल जीत लिया। सम्मेलन में वाराणसी दिल्ली, रूड़की भोपाल, कोलकाता, मध्यप्रदेश, राजस्थान, प्रयागराज, बांद्रा इत्यादि जगहों से कवि सम्मेलन में रचनाकार जुड़े रहे ।सम्मेलन का आरंभ 3:00से शाम 8:15 बजे समाप्त हुआ ।कार्यक्रम को सफल बनाने में वरिष्ठ कवि गण व संस्था के समस्त पदाधिकारी सम्मेलन में बने रहे।