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महंत सोमगिरि महाराज ने पीबीएम अस्पताल में ली आखरी सांस।

वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@श्री अक्षय लालवानी।
बीकानेर। लालेश्वर महादेव मंदिर, शिवमठ, शिव बाड़ी के अधिष्ठाता स्वामी संवित् सोमगिरि महाराज मंगलवार रात्रि लगभग साढ़े आठ बजे ब्रह्मलीन हो गए। 77 वर्षीय सोमगिरि महाराज का संभांग के सबसे बड़े चिकित्सालय पी बी एम स्थित टी बी हॉस्पिटल की सघन चिकित्सा इकाई में पिछले 19 दिनों से उपचार चल रहा था। सोमगिरि महाराज को 30 अप्रैल को सुबह यहां भर्ती कराया गया था। तभी से महाराज वेंटिलेटर पर थे। धीरे-धीरे उनके स्वास्थ्य में निरंतर सुधार हो रहा था। आज अचानक शाम को 4 बजे बाद उन्हें सांस लेने में तकलीफ बढती ही गई।

इस से पहले 22 अप्रैल को महाराज को गंगाशहर स्थित हंशा गेस्ट हाउस में चल रहे कोविड सेंटर में भर्ती किया गया था। वहां से कोरोना निगेटिव होकर स्वस्थ होने पर 28 अप्रैल को महाराज को छुट्टी दे दी गई। उसके बाद महाराज अपने आश्रम में ही आइसोलेट हो गए थे, लेकिन 29 अप्रैल की देर रात में वापस तकलीफ बढ़ने के कारण 30 अप्रैल को अल सुबह ही महाराज को पी बी एम के आईसीयू में भर्ती करवाया गया। जहां उनका ईलाज प्रसिद्ध श्वास एवं क्षय रोग विशेषज्ञ डॉ गुंजन सोनी की देखरेख में चल रहा था। इस दौरान महाराज की कोरोना रिपोर्ट दो बार की गई और दोनों बार ही रिपोर्ट निगेटिव आ गई थी।

बीकानेर के जानेमाने संत के चले जाने से बहुत बड़ी रिक्तता आ गयी है। आज उन्होंने बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में आखरी सांस ली। इनको कोरोना हो जाने पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत ने कुशलक्षेम पूछते हुए बीकानेर जिला प्रशासन को चिकित्सा की माकुम व्यवस्था के निर्देश दिए थे। आप श्री लालेश्वर महादेव मंदिर, शिवमठ, शिवबाड़ी, बीकानेर के महंत थे। आपका जन्म 24 नवम्बर 1943 को हुआ था। उनका अंतिम संस्कार कल किया जाएगा।
शिक्षा: 1966 में एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज, जोधपुर से बीई (मैकेनिकल इंजीनियरिंग)। 1971 तक एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज, जोधपुर विश्वविद्यालय, इंजीनियरिंग संकाय, जोधपुर में व्याख्याता के रूप में काम किया।
सन्यास: मई, 1971 में परम पूज्य गुरुदेव स्वामी ईश्वरानंद गिरिजी महाराज से परमहंस संन्यास की दीक्षा प्राप्त की। गुरुदेव के संरक्षण में 1994 तक तपस्वी जीवन व्यतीत किया, वेदांत का अध्ययन किया और संत सरोवर, माउंट आबू, राजस्थान में साधना, ध्यान और तपस्या की।
सिंहासन: श्रीलालेश्वर महादेव मंदिर, शिव मठ, शिवबाड़ी के महंत के रूप में 1994 में विराजमान (पट्टाभिषेक)। 2009 में श्रीसोमनाथ महादेव मंदिर, सोमश्रम, संत सरोवर माउंट आबू के महंत के रूप में विराजमान (पट्टाभिषेक)।
उपलब्धियां: श्री बड़ा बाजार कुमारसभा पुस्तकालय (पुस्तकालय), कोलकाता-2009 द्वारा “कलजयी सनातन धर्म” से सम्मानित “विवेकानंद सेवा सम्मान” से सम्मानित पुस्तक के लेखक के लिए अक्टूबर, 2005 में स्वामी श्री विष्णुतीर्थ शैक्षिक संस्थान द्वारा “स्वामी श्री विष्णुतीर्थ आध्यात्मिक सम्मान” से सम्मानित किया गया। .
प्रणयः मानव प्रबोधन प्राणों की स्थापना 1996 में मुख्य उद्देश्य जागरूकता पैदा करने और पर्यावरण के बारे में मानव को जागरूक करने और इसके समग्र विकास को प्रोत्साहित करने के लिए की गई थी।
गीता : विगत 17 वर्षों से गीता प्रतियोगिता का आयोजन एवं संचालन।
प्रतियोगिता : सोलहवीं गीता लिखित प्रतियोगिता 2010 में आयोजित हुई जिसमें राजस्थान के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के 176000 छात्रों ने भाग लिया। करीब एक हजार श्रद्धालुओं ने नि:स्वार्थ भाव से सेवा की।
संवित शूटिंग
संस्थान: आध्यात्मिक और योगिक दृष्टिकोण के आधार पर विश्व स्तर के भारतीय निशानेबाजों को विकसित करने के उद्देश्य से 2002 में स्थापित। संस्थान में लगभग 40 छात्र अभ्यास करते हैं और उनमें से कुछ ने स्वर्ण पदक जीते हैं। राष्ट्रीय निशानेबाजी टीम के ट्रायल के लिए दो निशानेबाजों का चयन किया गया है।
औषधालय : शिवबाड़ी के ग्रामीणों और आम जनता को निःशुल्क सेवाएं प्रदान करने के लिए होम्योपैथिक औषधालय की स्थापना।
पुस्तकालय : उनके आध्यात्मिक अध्ययन के लिए सार्वजनिक उपयोग के लिए 30 ‘ x 60 ‘ आकार के पुस्तकालय कक्ष की स्थापना । इसमें लगभग 2000 पुस्तकें उपलब्ध हैं।
वृक्षारोपण : मंदिर और उसके आसपास विभिन्न प्रजातियों के लगभग 2000 पौधे लगाकर पर्यावरण के संरक्षण के लिए वन राशन को बढ़ावा दिया और प्रोत्साहित किया जिससे बंजर भूमि को लघु वन क्षेत्र में बदल दिया गया।
प्रकाशन : निम्नलिखित पुस्तकों के लेखक (हिंदी)
परिचय Pustika, Nirajan स्तुति, Jap साधना,कालजयी सनातन धर्म (पुरस्कृत) स्वामी ShriVishnuthirth आध्यात्मिक साहब-2005), शिवानंद लहरी,Vaakya सुधा,
शिव संकल्प Smarika, मानव विकास साधना, जगद्गुरु आदि शंकराचार्य-Jeevani (जीवनी), Samvit सुधा-भाग,Samvit सुधा-भाग द्वितीय, दरवाजा कहीं से दर्रा (काव्य संग्रह), महाभारत कथा सर, कनक धारा स्रोत, सनातन संस्कृति का विज्ञान, जीवन रहस्य, मृत्युंजय साधना,आरती विधि और शिवमहिमनस्त्रोतम (संस्कृत),श्रीमद् भगवद् गीता (सरलीकृत) (संस्कृत), श्री दुर्गासप्तशती (सरलीकृत) (संस्कृत).

सीडी और कैसेट : निम्नलिखित का विमोचन किया

भगवद् , सप्तः कीर्तव्यों और उत्तरदित्यों के प्रति समर्पण,
कर्मयोग और गीता, प्रबंधन और गीता, मृत्यु से अमृतव की और
सफलता का रहस्य, नीतिता, जीवन मूल्य और प्रबंधन युग- धर्म, : स्वधर्म और गीता, प्रवचन द्वितीय, गीता प्रवचन (गीता III, XV, VI, भवन में गीता प्रवचन। XVIII), कोलकाता में प्रबोधन व्याखान माला, जीवन साधना का जप, संपूर्ण गीता
शिवस्तोत्रन्नि, श्री दुर्गा सप्तशती प्रमुख है।

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