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गोकृपा कथा सुनने उमडा जनसैलाब।

वीरधरा न्यूज़।आकोला@ श्री शेख सिराजुद्दीन।


आकोला। साध्वी चारु गोपाल सेवा समिति ताणा जय गौ माता गुरुकुलम (जेजीएम गुरुकुलम ) के तत्वाधान में चल रही गोकृपा कथा एवं लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के दूसरे दिन ग्वाल संत श्री ने बताया दुख हर जगह नहीं कहना चाहिए। दुख सिर्फ तीन जगह कहना चाहिए (1) इष्ट ( 2)गुरु (3)गौ माता भगवान के दरबार का विधान है वह देते नहीं लौटाते हैं अष्ट ऐश्वर्यमयी लक्ष्मी गौमय वस्ते सदा। अगर गौ माता का सात्विक दूध बच्चा पी रहा है तो वह राम है -राम ही आराम है ।समस्या सेवा करने वालों के जीवन में ही आती है पाप करने वालों के जीवन में दुखों का महा अंबार लग जाता है। जितने भी बड़े भक्त हुए समस्या को सहते हैं। परंतु उनके स्वभाव में परिवर्तन नहीं आता। गौ सेवा से प्राप्त शक्ति से शक्ति की कृपा बरसती है पूर्व काल में गुरुकुल में विभिन्न प्रकार के जीवन विज्ञानों को जानने वाले वैज्ञानिकों का समूह रहा करता था जिसमें जीवन विज्ञान, चयन विज्ञान, उत्तिष्ठ विज्ञान, आहार विज्ञान सिखाया जाता था। कौन से श्वास में क्या खाना है आज हम लोग विरुद्ध आहार लेते हैं। शिक्षा केवल डिग्री डिप्लोमा नहीं , शिक्षा के अंदर संस्कार , संस्कृति, स्वास्थ्य, शक्ति फिर शिक्षा आती है। गौआधारित शिक्षा 6 वर्ष की आयु से लेकर 18 वर्ष की आयु तक विद्यार्थी को स्वस्थ बना देती थी। शरीर सर्वगुण संपन्न बन जाता है बच्चा पौधे की तरह है पहले उसे तैयार करें। आज की कथा में अलवर से पधारे स्वामी देवानंद सरस्वती का सानिध्य प्राप्त हुआ। कल की कथा में साध्वी कंकु बाइ सा तथा परसों की कथा में जगदगुरु शंकराचार्य जी का सानिध्य प्राप्त होगा।

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