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उदयपुर-डॉक्टर धरती का चलता फिरता देवता होता है जो अपना सुख भूलकर मानवता को सुख पहुंचाता है: राष्ट्रसंत श्री चन्द्रप्रभ जी।

 

वीरधरा न्यूज़।उदयपुर@डेस्क।

उदयपुर। राष्ट्रसंत श्री चन्द्रप्रभ जी ने कहा कि सारे संसार की पहली जरूरत, पहली संपत्ति और पहली समृद्धि है स्वास्थ्य। जो लोग स्वस्थ हैं वह देश के लिए संपत्ति है और जो लोग बीमार है वह देश के लिए विपत्ति है। डॉक्टर साधुवाद के योग्य है जो अपने कर्तव्य के द्वारा देश की विपत्ति को दूर कर उसे सौभाग्य में बदलते हैं। चिकित्सा केवल धंधा नहीं है बल्कि बहुत बड़ी सेवा और बहुत बड़ी जिम्मेदारी है जिसे निभाकर डाक्टर्स पूरी मानवता पर उपकार करते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान सारे बच्चों का पालन नहीं कर सकते थे इसलिए उसने मां को पैदा किया और भगवान सारे मरीजों का ध्यान नहीं रख सकते थे इसलिए उसने डॉक्टर को पैदा किया। डॉक्टर और संत का जीवन एक जैसा होता है। संत भगवान की भक्ति करते हैं और डॉक्टर इंसानियत की भक्ति करते हैं। ईश्वर और इंसानियत एक दूसरे से अलग नहीं है, एक ही सिक्के के दो पहलू है। परमात्मा को पाने की पहली सीढ़ी है इंसानियत की सेवा इसलिए देश के हर नागरिक को डॉक्टर का सम्मान करना चाहिए। हर डॉक्टर धरती पर चलता फिरता देवता है। डॉक्टर अपना सुख भूलकर मानवता को सुख पहुंचाने के लिए 24 घंटे लगा रहता है। अगर एक डॉक्टर प्रतिदिन 100 मरीज देखता है तो वह 1 साल में 36000 रोगियों को स्वस्थ करता है और इस तरह वह अपनी 50 साल की सेवाओं में लाखों रोगियों की सेवा करके मानवता के लिए वरदान बन जाता है।
संतप्रवर शनिवार को आर एन टी जैन ग्रुप द्वारा न्यू ऑटियोरियम, वागड़ धर्मशाला के पास, महाराणा भूपाल चिकित्सालय परिसर में आयोजित प्रवचन कार्यक्रम में हजारों डाक्टर्स, नर्स और मेडिकल विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जीवन शैली बदलने के कारण आज हॉस्पिटल और रोगी दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं। इसलिए हर डॉक्टर मरीज को दवाई के साथ ऐसी हित सलाह भी दे जिससे वह कभी रोगी ही न बने। डॉक्टर को सलाह देते हुए संत प्रवर ने कहा कि हर डॉक्टर रोगियों की सेवा करने के साथ अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें।
उन्होंने कहा कि हम रोगी न बने इसके लिए हमें कुछ नियमों का पालन करना चाहिए – 1. होटल का, बाजार का खाना खाने से बचना चाहिए, 2. दोपहर 1 बजे से पहले अन्न नहीं लेना चाहिए, 3. सुबह नाश्ते में सिर्फ फल, ड्राई फ्रूट्स और दूध लेना चाहिए, 4. हमेशा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए, 5. किसी भी तरह का लोड नहीं लेना चाहिए, 6. रात्रि भोजन का त्याग करना चाहिए, 7. चेहरे की सुंदरता से ज्यादा स्वास्थ्य की सुंदरता पर ध्यान देना चाहिए, 8. हेल्थ सीक्रेट अपनाना चाहिए अन्न लीजिए आधा, फल सब्जी लीजिए दुगुना, पानी पीजिए तिगुना और हंसी कीजिए चौगुना, 9. प्रतिदिन सुबह परमात्मा का स्मरण करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ब्याव शादियों में गरिष्ठ भोजन नहीं बनाना चाहिए। गरिष्ठ भोजन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, मांसाहार का त्याग करना चाहिए। शाकाहार भोजन मानवता के लिए वरदान है। शाकाहारी भोजन लेने वाले के मन में हमेशा सात्विकता और निर्मलता रहती है। रोज सुबह 1 घंटा योगाभ्यास और ध्यान करना चाहिए, गुस्से का त्याग करना चाहिए क्योंकि समझदार लोग कभी गुस्सा नहीं करते, गुस्सा करने वाले पागल हुआ करते हैं।
उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि डॉक्टर को मरीजों को देखने के साथ-साथ प्रतिदिन 2 घंटे रिसर्च जरूर करनी चाहिए ताकि आने वाले कल में ऐसे आविष्कार हो जो भारत द्वारा विश्व के लिए वरदान बन जाए।
प्रवचन से प्रेरित होकर सभी श्रद्धालुओं ने खड़े होकर डाक्टर्स के लिए तालियां बजाकर अभिनंदन किया।
कार्यक्रम में प्रिंसिपल डॉ. विपिन माथुर, पूर्व प्रिंसिपल डॉक्टर लाखन पोसवाल, सीनियर डॉक्टर मुकेश बड़जात्या, डॉ राहुल जैन, डॉक्टर शैलेंद्र हिरण, डॉक्टर आनंद गुप्ता, चातुर्मास संयोजक हंसराज चौधरी विशेष रूप से उपस्थित थे।
समिति के हस्तीमल लोढ़ा ने बताया कि संतप्रवर के रविवार को सुबह 9.15 बजे सेक्टर 3 स्थित एम डी एस स्कूल में विशेष प्रवचन होगा। आयोजक लोढ़ा परिवार ने सभी श्रद्धालुओं को आमंत्रित किया है।

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