हाईकोर्ट में फजीहत झेलने के बाद गहलोत सरकार ने पत्रकार लोकेंद्र सिंह और शरत कुमार के खिलाफ लगाया मुकदमा वापस लिया
वीरधरा न्यूज़। जयपुर @ श्री राहुल भारद्वाज।
जयपुर । कुछ महीने पहले पायलट और गहलोत गुट के अंतर्द्वंद के कारण राजस्थान में उपजे सियासी संकट के दो महीने बाद जयपुर कमिश्नरेट पुलिस के अंतर्गत आने वाले साइबर थाने की तरफ से एक मुक़दमा दर्ज कराया गया था जिसमें यह कहा गया था कि गहलोत गुट के विधायकों के जैसलमेर के एक होटल में ठहरने के दौरान टेलीफोन टैपिंग की जो खबर प्रकाशित की गई थी वो गलत थी और इसे एक षड्यन्त्र के तहत प्रकाशित किया गया था ।
गहलोत सरकार द्वारा पत्रकारो को प्रताड़ित करने के उद्देश्य से लगाए गए इस मुकदमे के खिलाफ पत्रकार लोकेन्द्र सिंह राजस्थान उच्च न्यायालय गए थे जहां उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था कि पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा कैसे दर्ज किया जा सकता है जिसके बाद सरकार को काफी फजीहत झेलनी पड़ी थी । इसके बाद कोर्ट में जवाब दाखिल करने से पहले जयपुर पुलिस ने इस पूरे मामले पर फाइनल रिपोर्ट पेश कर दी है ।
उक्त प्रकरण में विधायकपुरी पुलिस स्टेशन के थाना अधिकारी ओम प्रकाश माचवावा का कहना है कि इस मामले में जांच पूरी कर एफ. आर लगा दी गई है । मामले की जांच रिपोर्ट में पाया गया है कि मुकदमे में कार्यवाही के लिए कोई तथ्य नहीं बनता है । मामले की जांच के दौरान इसे गलतफहमी में दर्ज किया गया मुकदमा पाया गया है ।
गौरतलब है कि उक्त प्रकरण में लोकेन्द्र सिंह के अलावा आजतक के राजस्थान के संपादक शरत कुमार पर भी मुकदमा दर्ज किया गया था और अब मुकदमा वापसी के लिए जयपुर पुलिस ने कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है ।
मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने पहले ही किसी भी तरह के दंडात्मक कार्रवाई पर मुकदमे की सुनवाई पूरी होने तक रोक लगा रखी है और हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2021 में रखी है । अब मामले में अचानक से मुकदमा दर्ज कराने और फिर मुकदमा वापस लेने को लेकर राजस्थान सरकार और जयपुर पुलिस की कार्यवाही पर सवालिया निशान लग गए है तथा कार्यशैली पर सवाल उठ रहे है ।