वीरधरा न्यूज़।चित्तोडगढ़@डेस्क।
चित्तौड़गढ़।समकित के संग समकित की यात्रा स्ट्रेसफुल लाइफ का सॉल्यूशन प्रवचन श्रृंखला के क्रम में मंगलवार को खातर महल में डॉ समकित मुनि ने अपने प्रवचन में कहा कि रिश्ता धर्म का हो तो पुत्र साताकारी होता है और रिश्ता पाप का हो तो पुत्र प्रलयकारी हो जाता है ।
पुत्र बेड़ा पार लगाने वाले भी हो सकते हैं और बेड़ा गर्क करने वाले भी। पुत्र ही परभव ले जाएँगे यह सोच सही नहीं है ।
दीवाली पर अत्यधिक प्रदूषण हो जाता है। इस बार दीवाली में घर के अंदर कृत्रिम फूल का उपयोग करें ।हरे फूलों का उपयोग न करें तो कर्मों के बंधन से बचेंगे। ये दीवाली बिना हिंसा किये हो। किसी भी जीव को मारने और कुचलने का भाव न हो और न ही किसी के अरमानों को कुचलो।पटाखे, आतिशबाजी से बचें।
दीवाली इस प्रकार मनाओ कि जिस घर में अभाव है उनको सहयोग कर दीवाली मनाओ। किसी अनाथाश्रम, गोशाला में सेवा कर दीवाली मनाओ तो आनंद आएगा। किसी को आबाद न कर सको तो किसी को बर्बाद करने की मत सोचो। धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए धन को आगे लाना जरूरी नहीं।धर्म अलग है धन अलग है।
अन्तरचेतना और श्रद्धा भक्ति से जुड़ा रिश्ता ही शाश्वत स्थायी होता है।
पूर्व भव के बंधन और संस्कार से ही रिश्ते सुदृढ़ होते है या बिखर जाते है। इसी कारण हमारी पसंद नापसंद बनती बिगड़ती है। गलत काम न करने के प्रत्याख्यान लिये जाने चाहिये। विचित्र तो यह है कि दुनिया के अनेक लोग सही काम न करने के प्रत्याख्यान लेकर बैठ जाते है?
अनर्थ की खान है अकारण किया जाने वाला अपव्यय अनर्थ की खान है। करणीय अकरणीय का विवेक आवश्यक होता है।
श्रीसंघ प्रचार मंत्री सुधीर जैन ने बताया कि इस चातुर्मास की अभी तक की सबसे बड़ी तपस्या करने वाले वरिष्ठ श्रावक सुरेश बोहरा को जिनकी आयु 70 वर्ष है उन्हें डॉ समकित मुनि ने 46 वें उपवास के प्रत्याख्यान दिलाये और उनकी कठिन तपस्या की श्रीसंघ अध्यक्ष हस्तीमल चोरड़िया सहित उपस्थित श्रावक श्राविकाओं ने बारम्बार अनुमोदना की। प्रवचन में भवान्त मुनि म सा ,साध्वी विशुद्धि म सा,साध्वी विशाखा म सा विराजित रहे। कार्यक्रम का संचालन श्रीसंघ मंत्री अजीत नाहर ने किया।
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