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चित्तौड़गढ़-शर्म और लज्जा आंख का गहना हैं,यदि यह आंख से गायब हो गए तो जिंदगी शून्य हो जाती है- डॉ समकित मुनि।

वीरधरा न्यूज़।चित्तोडगढ़@डेस्क।
चित्तोडगढ़।समकित के संग समकित की यात्रा स्ट्रेसफुल लाइफ का सॉल्यूशन प्रवचन श्रृंखला के क्रम में शुक्रवार को खातर महल में डॉ समकित मुनि ने अपने प्रवचन में कहा कि बुरी आदतें बलगम में फंसी मक्खी की तरह होती है जिसका फंसना न फंसना तो उसके हाथ में है पर एक बार फंस गई तो फिर निकलना असंभव हो जाता है।उसी प्रकार एक बार यदि बुरी आदत का स्वाद लग जाता है तो उसे छोड़ना बहुत कठिन हो जाता है इसलिए ऐसी आदतें नहीं डालनी चाहिए जिससे हम परेशानी में पड़ जाए। जो बुरे कार्य का अनुमोदन करता है वह दुखों से दूर नहीं रह सकता है। अनुमोदना का पाप संसार से तभी छूट पाता है जब पांच महाव्रत को स्वीकार कर लेते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में अनियमित जीवन जीने वालों का जीवन आउट ऑफ कंट्रोल हो जाता है। जीवन को सही दिशा की ओर मोड़ने के लिए नियमित जीवनचर्या बहुत जरूरी है।
अपनी आंख धर्म, विनम्रता ,और संतुष्टि की होनी चाहिए ना कि वासना,लोभ, अभिमान की।आंख यदि पापकारी होगी तो दुर्गति में ले जाती है। जिनसे हमें प्रेम करना है उनसे ही हम जलने लग जाते हैं तो हमारी भाव शुद्धि खत्म हो जाती है और जिंदगी बर्बादी की ओर चली जाती है।
शर्म और लज्जा आंख का गहना हैं,यदि यह आंख से गायब हो गए तो जिंदगी शून्य हो जाती है ।डॉ समकित मुनि ने आज दशहरे के दिन को पावन पर्व बताया और कहा कि रावण की अठारह हजार पत्नियां थी फिर भी उसे सीता का वर्णन सुनकर राम से जलन होने लगी। जब जब हम अच्छे लोगों से जलते हैं तो दुनिया हमें जलाती है और यही रावण के साथ भी हुआ। रावण का दुर्भाग्य देखिए कि वो वर्षों वर्षों से जलता हुआ आ रहा है फिर भी उसके प्रति दुनिया के लोगों की भाव शुद्धि में कोई परिवर्तन नहीँ हुआ है । डॉक्टर समकित मुनि ने वर्तमान हालात पर चिंता जताते हुए कहा कि आजकल आदमी रावण से भी बदतर होता जा रहा है। छोटी छोटी बच्चियों के साथ गलत काम करने वाले व्यक्ति पशु से भी बदतर हैं और उन्होंने एक डरावना वातावरण बना दिया है। उन्होंने कहा कि विश्वास उस समय दम तोड़ देता है जब जिसे हम माला समझते हैं वह सांप निकल जाता है और जिसे हम राम समझ कर पूजा करते हैं वह शैतान या रावण निकल जाता है ।उत्तराध्ययन सूत्र के नौवें अध्ययन में कहा गया है कि अपना मन कभी रावण जैसा नहीं होना चाहिए। रावण को सीता नहीं मिली बल्कि दुर्गति मिली । जरूरी नहीं है कि पाने के लिए संघर्ष ही करना ही पड़े शांति से भी बहुत कुछ प्राप्त हो जाता है। मन के विचार गलत आते ही उन्हें त्याग दिया जाए तो व्यक्ति पापकर्म से बच सकता है ।डॉ समकित मुनि ने कहा कि हमें सोने से पहले पाप को सुलाना होगा फिर स्वयं सोएंगे तो यह जीवन बेहतर हो पाएगा।
श्रीसंघ प्रचार मंत्री सुधीर जैन ने बताया कि डॉ समकित मुनि ने वरिष्ठ श्रावक सुरेश बोहरा को 42 वें उपवास का प्रत्याख्यान दिलाया। प्रवचन में भवान्त मुनि म सा ,साध्वी विशुद्धि म सा,साध्वी विशाखा म सा विराजित रहे। कार्यक्रम का संचालन श्रीसंघ मंत्री अजीत नाहर ने किया।

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