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चित्तौड़गढ़-मीरानगरी जैन स्थानक में प्रवचन सभा में डॉ समकित मुनि जी म सा बोले-बाल सफेद होना परमात्मा का एक संदेश है कि अब तू संभल जा।

वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@डेस्क।
मीरानगरी जैन स्थानक में प्रवचन सभा में डॉ समकित मुनि जी म सा ने आगम के सूत्र की व्याख्या करते हुए बताया कि समय भाग रहा है। भले अपना शरीर कमजोर है पर लोग अपने आपको पहलवान समझने का अवसर नहीं छोड़ते। परंतु परमात्मा कहते हैं कि शरीर कमजोर है वर्तमान समय में शरीर की सहनशक्ति कमजोर होती जा रही है हड्डियां कमजोर है एवं एक चींटी और एक मच्छर भी इंसान को परेशान कर देता है। शरीर निरंतर कमजोर हो रहा है, शक्ति निरंतर कम होती जा रही है, केश काले से सफेद हो रहे हैं, श्रवण शक्ति कमजोर हो रही है नजर भी कमजोर हो रही है व चलने फिरने की शक्ति कमजोर हो रही है। परमात्मा कहते हैं कि हे मनुष्य क्यों आलस्य कर रहा है। बाल सफेद होना परमात्मा का एक संदेश है कि अब तू संभल जा। पर मनुष्य कहां समझता है। बालों को काला कर शरीर के परिवर्तन को छुपाने का प्रयास करता है, 75 वर्ष के वृद्ध भी बाल काले करते हैं। परिवर्तन को स्वीकार कर जीने का ढंग परिवर्तन करें । परमात्मा के नोटिस समझ जाने चाहिए। दूसरा नोटिस दांतों का मुख से सारे दांत धीरे धीरे कम होना, आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम होना, बाल काले, नकली दांत चश्मा द्वारा हम इस नोटिस को इग्नोर करने का लगातार प्रयास करते हैं। समय का कोई भरोसा नहीं फिर भी हम प्रमाद मे खोए हुए हैं। कि बीच में जाग जाता है बुद्धिमान जीव सोए हुए के बीच में भी जाग जाताहै। जागने के बहुत मौके मिलते हैं पर नींद में हम पुनः सो जाते हैं।
जैसे पिंजरे के कबूतर को खुले में छोड़ जब शाम को पालक अपने मुंह से सीटी बजाता है तो मुक्त गगन में उड़ता वो पालतू कबूतर वापस अपने आप पिंजरे में कैद हो जाते हैं जबकि उसकी स्वतंत्रता उसके हाथ में थी ।वैसे ही आज के प्राणी की यही स्थिति है ।
एक उम्र के बाद ट्रैक बदल देनी चाहिए। मोह की ट्रेन से उतरकर धर्म साधना की ट्रेन में सवार हो जाना चाहिए ।50 वर्ष की उम्र के बाद धीरे-धीरे संसार का परित्याग करने की तैयारी कर लेनी चाहिए। जैसे तैसे मोह छोड़ते जाएंगे जीवन में आनंद बढ़ता चला जाएगा। एक उम्र के बाद निवृत्ति मार्ग पर अग्रसर हो धर्म संस्थान व आराधना में प्रगति करने का प्रयास करें। गुस्से की कंपनी से क्षमा की कंपनी ज्वाइन करें। अभिमान की कंपनी को छोड़कर नमृता की कंपनी को ज्वाइन करना चाहिए।डॉ समकित मुनि ने आज प्रवचन सभा में सभी श्रावक श्राविकाओं को प्रतिदिन प्रातः काल 6:00 से 9:00 तक क्रोध न करने की प्रेरणा प्रदान की। उन्होंने प्रात: 3 घंटे तक गुस्से से छुट्टी और क्षमा में ड्यूटी देने की प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि प्रातः काल वातावरण में भी सकारात्मकता रहती है। यह संकल्प एक दिन,एक सप्ताह से प्रारंभ कर एक महीने तक पूर्ण करें फिर उसको स्थाई कर ले तो आप स्वयं महसूस करेंगे कि जीवन में गजब का परिवर्तन आ गया है। बर्फ को गर्म करें तो वह पानी बन जायेगा और पानी को फ्रीजर में रखें तो पुनः बर्फ बन जायेगा। पर दूध से यदि दही बना दिया तो उसे पुनः दूध नहीँ बना सकते हैं ।कुछ बनेगा तो सिर्फ छाछ,घी या अन्य कोई पदार्थ। हम खट्टी बातों का जामन देकर रिश्ते मीठे बनाना चाहते हैं जो संभव नहीं है। दैनिक जीवन में अभिमान और जिद छोड़ दे तो जीवन स्वर्ग बन जाता है। खट्टी बातों से मधुर रिश्ते भी खट्टे हो जाते हैं ।अतः सजगता सावधानी के प्रयास निरंतर चलते रहने चाहिए। छोटी-छोटी बातों के प्रत्याख्यान से स्वयं के जीवन को बदलने का प्रयास करते रहे तो जीवन जीने का आनंद आ जाएगा। शरीर का कोई भरोसा नहीं है।यह शरीर 3:30 करोड़ रोम राशि से बना है और हर रोम राशि के पीछे दो बीमारी होती हैं। इस तरह अपना शरीर करोड़ों बीमारियों का घर है । इसलिए सभी के साथ प्रेम से रहें व वातावरण सुधारे तो जीवन स्वर्ग बन जाएगा।प्रचार मंत्री सुधीर जैन ने बताया कि प्रवचन से पूर्व भवान्त मुनि ने सुमधुर भजन प्रस्तुत किया व धर्मसभा में साध्वी विशुद्धि जी म सा व विशाखा जी म सा विराजित थे। प्रवचन कार्यक्रम का संचालन श्रीसंघ मंत्री अजीत नाहर ने किया।
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