चित्तौड़गढ़-किसान आन्दोलन के सात माह पूर्ण होने पर धरना, राज्यपाल और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन प्रेषित किया।
वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@ डेस्क।
चित्तौड़गढ़।संयुक्त संघर्ष एवं को- ऑर्डिनेशन समिति ने किसान आन्दोलन के सात माह पूर्ण होने पर जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय चित्तौड़गढ़ के बाहर कई संगठनों को एक बैनर तले लेते हुए तीनों किसान कानूनों को रद्द करने न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून लागू कराने सहित किसानों एवं मजदूरों की जायज मांगों को पूरा करने का ज्ञापन राज्यपाल एवं राष्ट्रपति के नाम प्रेषित किया।
को ओर्डिनेशन समिति के जिला संयोजक लुणाराम सियाग ने केंद्र सरकार पर गरीब गांव किसान एवं मजदूरों की अनदेखी करने का आरोप लगाया और कहा कि देश में गरीब किसान एवं मजदूरों में भारी आक्रोश है जिसे नजरअंदाज करना केंद्र सरकार के लिए घातक परिणाम देने वाला सिद्ध होगा। आज किसान आंदोलन के सात माह पूर्ण हो रहे हैं “कृषि बचाओ लोकतंत्र बचाओ” के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर आज पूरे देश में किसानों द्वारा भाजपा सरकार द्वारा नागरिक स्वतंत्रता को कुचलने के विरोध प्रदर्शन कर कहा कि देश में केन्द्र सरकार द्वारा तीनों काले कृषि कानूनों, थोपे गये चार लेबर कोड बिल और लोक डाउन के बहाने उद्योगों में से लैबर छटनी के साथ ही मिड डे मील के मजदूरों को 15-15 माह से अब तक भी वेतन का भुगतान नहीं होना, देश में महंगाई दर दोगुनी हो जाना, देश के सभी सरकारी उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपना देश की आवाम पर हमला और कुठाराघात हैं।
धरने में संयुक्त को ओर्डिनेशन समिति चित्तौड़गढ़ के जिला संयोजक चौधरी लूणा राम सियाग, भारतीय जागरूक किसान संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभियन्ता अनिल सुखवाल, इंटक के विमल चंद जैन, बहुजन क्रांति मोर्चा के राजस्थान सह संयोजक ईन्जिनियर राम कुमार चांवला, भारतीय अनुसूचित जाति- जनजाति रेलवे संगठन चित्तौड़गढ़ के एस आर गठवाल, आर एम के यु के प्रभात सिन्हा, राष्ट्रीय सुरक्षा टाईगर फोर्स के अमर सिंह सोनावत, किसान सभा के नाथूराम, सीटू के कालु राम सुथार, अखिल भारतीय किसान महासभा के शान्ति लाल त्रिवेदी, सीमेंट फेडरेशन के तुलसीदास सनाढ्य, जेके सीमेंट श्रमिक संघ के अध्यक्ष नाहर सिंह देवड़ा और महामंत्री भैरू सिंह चुण्ड़ावत, जे के सीमेंट श्रमिक संघ मांगरोल के अध्यक्ष सत्यनारायण मेनारिया, दीपक दशोरा, सीटू से गोपाल शर्मा, सीपीआई एम के भंवर सिंह चौहान, शंकर लाल भील खारखंदा आदि ने मांगपत्र वाली तख्तियां के आगे बैठकर धरना स्थल पर अपनी मांग को आमजन में प्रसारित किया। धरना के बाद में सभी ने मांगपत्र को राष्ट्रपति और राज्यपाल के नाम प्रेषित किया।