फोन टैपिंग को लेकर बोले डॉ. पूनिया: मुख्यमंत्री बतायें कि यह परम्परा किसने तोड़ी थी और इसकी वजह क्या रही ।
वीरधरा न्यूज़।जयपुर@ श्री राहुल भारद्वाज।
जयपुर । गहलोत पायलट विवाद के दौरान फोन टैपिंग के मामले को लेकर एक नया मोड़ आ गया है। भाजपा प्रदेश कार्यालय में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए राजस्थान की राजनीति में अनेक अवसरों पर अनेक किस्म की सियासी चर्चाएं होती हैं, लेकिन राजस्थान में जबसे कांग्रेस की सरकार बनी है तभी से तमाम मुद्दों पर यह सरकार घिरी हुई है।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि यह सरकार जब भी अपने पाप छुपाने की कोशिश करती है तो कोई ना कोई नई बात सरकार के खिलाफ उजागर होती है। सरकार की स्टेबिलिटी, कांग्रेस पार्टी की अन्र्तकलह जैसी कुछ बातों से आप अच्छी तरह से वाकिफ हैं। उन्होंने कहा कि कुछ महीने पहले एक सियासी एपिसोड के दौरान राजस्थान में सियासी पारा बहुत ऊँचा था और सरकार अपना अस्तित्व बचाने के लिए मशक्कत कर रही थी और वो परिस्थितियां भी इनके अपने लोगो के कारण ही थी। उस दौरान भाजपा पर अनेकों बार झूठी तोहमत लगाने की कोशिश हुई, लेकिन उस पूरे नाटक के नायक, खलनायक मुख्यमंत्री गहलोत थे।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि 15वीं विधानसभा के 5वें सत्र के दौरान भाजपा विधायक द्वारा एक प्रश्न पूछा गया, जो गोपनीयता से सम्बन्धित है। आमतौर पर जो प्रश्न पूछे जाते हैं उनका एक माह के भीतर जवाब आ जाता है। यह प्रश्न अगस्त, 2020 में पूछा गया और अब उसका जवाब आया है। भाजपा विधायक ने यह प्रश्न पूछा था कि, क्या यह सही है कि विगत दिवसों में फोन टेप किए जाने के प्रकरण सामने आए हैं? यदि हाँ तो किस कानून के अन्तर्गत एवं किसके आदेश पर? पूर्ण विवरण सदन की मेज पर रखें।
सरकार ने इसका जवाब दिया कि, लोक सुरक्षा या लोक व्यवस्था के हित में या किसी ऐसे अपराध को प्रोत्साहित होने से रोकने के लिए जिससे लोक सुरक्षा या लोक व्यवस्था को खतरा हो टेलीफोन अन्तावरोध भारतीय तार अधिनियम 1885 की धारा 5(2) भारतीय तार अधिनियम (संशोधित) नियम 2007 के नियम 419ए व सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 69 में वर्णित प्रावधान के अनुसार सक्षम अधिकारी की स्वीकृति उपरान्त किया जाता है। राजस्थान पुलिस द्वारा उपरोक्त प्रावधानों के अन्तर्गत टेलीफोन अन्तावरोध सक्षम अधिकारी से अनुमति प्राप्त करने के उपरान्त ही किए गए है।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि सियासी घटनाक्रम के समय भी प्रश्न यह था कि क्या कोई फोन टैपिंग हुई है? और उस समय इस बात की चर्चा हुई तो सक्षम अधिकारियों ने, मुख्य सचिव एवं उनके निचले स्तर तक के अधिकारियों ने इस बारे में मना कर दिया। तब मुख्यमंत्री ने सदन में इस बात के लिए साफ-साफ इंकार किया कि राजस्थान में कभी ऐसी परम्परा रही नहीं। सदन में कही गई बात, अधिकारियों द्वारा कही गई बात और अनेक बार चर्चा हुई और अनेक प्रसंगों में यह साबित हुआ कि कहीं ना कहीं फोन की टैपिंग जरूर हुई है। उस दौरान भी इस तरह की टैपिंग के मसले आये तो हमने कई बार पूछा कि इसका साॅर्स क्या है?
डाॅ. पूनियां ने कहा कि अब सरकार ने फोन टैपिंग की बात को स्वीकार कर लिया है। यह स्वीकारोक्ति है राजस्थान पुलिस की, जो विधानसभा के प्रश्न का जवाब आया है। इस तरह की खबरें मीडिया के माध्यम से पहले भी आई हैं। जनवरी, 2020 से अगस्त, 2020 तक कितने फोन टेप किये गये? इस बारे में सरकार इंकार करती रही, लेकिन इस बारे में जानकारी मिलेगी तो मुझे लगता है कि सारी चीजें स्पष्ट हो जायेगी।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि फोन टैपिंग का यह सामान्य मसला नहीं है, राजस्थान के मुख्यमंत्री स्वीकार कर चुके हैं कि प्रदेश में इस प्रकार की परम्परा नहीं है, तो मुख्यमंत्री बतायें कि यह परम्परा किसने तोड़ी और इस परम्परा को तोड़ने की वजह क्या है? मुख्यमंत्री खुद इसके दोषी हैं और उस समय जब मीडिया में ऑडियो टेप सामने आने की खबरें आई थी तो कांग्रेस के कई विधायकों ने इस मामले की एनआईए से जाँच कराने की मांग की थी।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि सदन में भी इस बारे में भी झूठ बोला गया, तथ्यों के बारे में भी भ्रांतियां फैलायी गई, तो स्पष्ट तौर पर मुख्यमंत्री इसके दोषी हैं, उनको नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए, जो खुद गृहमंत्री भी हैं, इस मामले की सीबीआई से जाँच करवानी चाहिए। आमतौर पर सरकारों में पूर्णकालिक गृहमंत्री कार्य करते रहे हैं, लेकिन इस सरकार में पूर्णकालिक गृहमंत्री नहीं है।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि प्रदेश में बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं है, अब तक 6 लाख 14 हजार से अधिक मुकदमे दर्ज हुए हैं, जिनमें 80 हजार से अधिक महिला अपराधों से सम्बन्धित हैं और 12 हजार से अधिक रेप एवं गैंगरेप के मामले हैं। आमतौर पर जनता बेखौफ होकर सोती है और राजा उसकी सुरक्षा के लिए जागता है, लेकिन प्रदेश में अराजक हालात बने हुए हैं, ऐसे में राजा सो रहा है और जनता खौफ में जी रही है, सो नहीं पा रही है। कानून व्यवस्था को मजबूत करने के लिए मुख्यमंत्री लीपापोती करने के अलावा कुछ नहीं कर रहे, जनघोषणा पत्र में बहन-बेटियों को सुरक्षा देने का वादा किया था, जिसे वो पूरा नहीं कर पा रहे हैं, ऐसे में नैतिक आधार पर उनको पद पर बने रहना का कोई अधिकार नहीं है।