वीरधरा न्यूज़।बौंली/ बामनवास@ श्री श्रद्धा ओम त्रिवेदी।
बौंली। हिंदू धर्म में करवा चौथ का विशेष महत्व माना गया हैं। पति-पत्नी के प्रेम का प्रतीक इस व्रत को सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए और कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए निर्जला व्रत रख कर रात्रि में चंद्रमा देखने के बाद ही खोलती हैं। इस साल करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर रविवार को रखा जाएगा। आचार्य गौरी शंकर शर्मा बोरखेड़ा ने बताया कि पंचांग और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार सूर्य और बुध दोनों ही ग्रह शुक्र की राशि तुला में विराजमान होने से बुधादित्य योग। शुक्र के वृश्चिक राशि में आने से गुरु के साथ मिलकर समसप्तक योग। शनि अपनी राशि कुंभ में रहकर शश राजयोग। चंद्रमा वृषभ राशि में गुरु के साथ युति करके गजकेसरी और मिथुन राशि में मंगल के साथ गजकेसरी राजयोग का संयोग हुआ हैं। करवा चौथ के दिन भगवान गणेश और चौथ माता की पूजा की जाती हैं। रविवार को शाम के समय 5:47 से रात्रि 08:56 तक पूजा करना श्रेष्ठ हैं । चंद्रोदय का समय 08:10 हैं। यह व्रत सूर्योदय के साथ प्रारंभ होता है और चंद्रोदय के साथ समाप्त होता हैं।