भूपालसागर-दो दिवसीय संस्था प्रधान वाकपीठ का समापन पूर्व प्रधान हींगड़ बने आगामी सत्र की वाकपीठ के भामाशाह।
वीरधरा न्यूज़। आकोला@ श्री शेख सिराजुद्दीन।
आकोला। ब्लॉक स्तरीय दो दिवसीय संस्था प्रधान वाकपीठ का समापन।
पूर्व प्रधान एवं भामाशाह भगवती लाल हिंगड़ के मुख्य आतिथ्य व अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी ओम प्रकाश मेनारिया की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। समारोह के विशिष्ट अतिथि पंचायत समिति सदस्य चमन लाल खटीक, पूर्व पस सदस्य प्रभु लाल माली, पूर्व सरपंच ताणा विक्रम सिंह झाला, अध्यक्ष धर्मशाला कमेठी चमन लाल शेर, संरक्षक धर्मशाला कमेठी नारायण लाल आलोड़िया व वाकपीठ अध्यक्ष चित्तौड़गढ़ हस्तीमल वीरवाल रहे।
स्वागत उद्बोधन वाकपीठ अध्यक्ष अशोक कुमार रेगर व संरक्षक जगदीश चंद्र द्विवेदी द्वारा किया गया। वाकपीठ के द्वितीय दिवस का शुभारंभ बबली अग्रवाल, बेला अग्रवाल, नीना बंसल एवं शालिनी पंवार द्वारा सरस्वती वंदना से हुआ। प्रथम वार्ताकर नीना बंसल पारी द्वारा योगा पर वार्ता दी। योग प्रशिक्षक भूपेन्द्र गाडरी मावली एवं उनकी टीम द्वारा योगा पर सुंदर प्रस्तुति दी गयी। डॉ विक्रम सिंह द्वारा समय एवम विद्यालय प्रबंधन विषय पर, मुश्ताक अहमद शाह द्वारा वृक्षारोपण पर, मुकेश सुखवाल द्वारा विधार्थी कल्याणकारी योजनाओ पर, अजीम प्रेम जी फाउण्डेशन के रुड मल द्वारा निपुण चित्तौडगढ़ मिशन पर वार्ताएं दी गई। मुख्य अतिथि हींगड़ ने सभी संस्था प्रधानों को बोर्ड परीक्षा परिणाम में ब्लॉक को जिले में उत्कृष्ट स्थान दिलाने पर बधाई दी। साथ ही वर्तमान परिस्थितियो में सजगता से बालको मे नैतिक विकास पर प्रमुखता से ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया। हींगड ने आगामी सत्र में आयोजित होने वाली माध्यमिक एवं प्रारंभिक शिक्षा की सत्रारंभ वाकपीठ के आयोजन के भामाशाह बनकर आकोला में करवाने की घोषणा की।
विक्रम सिंह झाला ने अपने उद्बोधन मे गुरु वंदन के साथ बालको में अच्छे संस्कार एवं नैतिक शिक्षा पर जोर दिया। एडीईओ मेनारिया ने समस्त संस्था प्रधानों को संबोधित करते हुए संस्था प्रधान के दायित्व एवम विद्यालय के सुचारू संचालन की गतिविधियों पर प्रकाश डाला।
अतिथियों द्वारा शत् प्रतिशत परीक्षा परिणाम देने वाले संस्था प्रधानों को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया व भामाशाह हींगड द्वारा सभी को बैग प्रदान किये गये।
अतिथियों का आभार वाकपीठ सचिव कन्हैयालाल मेनारिया व कोषाध्यक्ष अनिल शर्मा द्वारा किया गया। संचालन वासुदेव चारण द्वारा किया गया।