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बाल विवाह रोकने के लिए संबंधित क्षेत्र के सरपंच का दायित्व प्रकरण सामने आने पर क्षेत्र के सरपंच व वार्ड पंच के विरूद्ध होगी कार्यवाही।

 

वीरधरा न्यूज़। चित्तौडग़ढ़@ श्रीमती दीपिका जैन।

चित्तौड़गढ़। बाल विवाह रोकथाम हेतु उच्च न्यायालय द्वारा पारित अंतरिम आदेशानुसार राजस्थान पंचायती राज नियम 1996 के अनुसार बाल विवाह रोकने के लिए संबंधित क्षेत्र के सरपंच का दायित्व है।
जिला कलक्टर आलोक रंजन ने अक्षयतृतीया एवं पीपल पुर्णिमा व अन्य अबूज सावों पर होने वाले बाल विवाह रोकथात हेतु आदेश जारी कर मुख्य कार्यकारी जिला परिषद को निर्देशित किया है कि जिले की ग्राम पंचायतों के समस्त सरपंचों वार्ड पंचो को निर्देशित करे कि उनके क्षेत्र में कोई बाल विवाह न हो इस हेतु सजगता बरतें एवं ऐसी किसी भी घटना घटित होने की सम्भावना होने पर पूर्व में उच्चाधिकारियों को सूचित करें। यदि ग्राम पंचायत के क्षेत्राधिकार में बाल विवाह से सम्बधित कोई भी प्रकरण संज्ञान में आता है तो माननीय न्यायालय द्वारा दिनांक 1 मई 2024 को जारी अंतरिम आदेशानुसार उस क्षेत्र के सरपंच एवं वार्ड पंच के विरूद्ध बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 की धारा 11 के तहत उत्तरदायी मानते हुए उनके विरूद्ध नियमानुसार विधिक कार्यवाही अमल में लायी जावेगी।
सभी विभागों को अपने-अपने क्षेत्र में बाल विवाह रोकथाम हेतु निर्देश दिए।
जिले में कहीं पर ही पर भी 18 वर्ष से कम उम्र की बालिका एवं 21 वर्ष से कम उम्र के बालक के बाल विवाह की सूचना होने पर चाईल्ड हेल्प लाइन नम्बर 1098 मुख्यमंत्री हेल्पलाईन नम्बर 181, आपातकालीन हेल्पलाईन नम्बर 112 एवं पुलिस कन्ट्रोल रुम 100 पर सूचना दे।

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