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पद्मिनी आर्ष कन्या गुरुकुल चित्तौड़गढ़ में कन्या चरित्र निर्माण के सात दिवसीय शिविर का हुआ समापन।

वीरधरा न्यूज़। चित्तौड़गढ़@ डेस्क।

चित्तौड़गढ़ के पद्मिनी आर्ष कन्या गुरुकुल में चल रहे सात दिवसीय शिविर का आज 31 जनवरी रविवार को भव्य समारोह के साथ समापन हुआ ।
जानकारी देते हुए संस्था के अध्यक्ष डॉक्टर सोमदेव शास्त्री मुंबई ने बताया कि 7 दिनों में कन्याओं ने जो प्रशिक्षण लिया उसका प्रदर्शन हवन, योग, प्राणायाम ,जूडो कराटे, लाठी, कमांडो ट्रेनिंग, स्तूप, पीटी ,मार्च पास्ट ,आदि का प्रदर्शन कर अतिथियों से प्राप्त किया। शिविर में सात वर्ष से पंद्रह वर्ष की 64 कन्याओं ने भाग लिया। प्रशिक्षण एकता आर्या ने दिया। शिविर के अनुभव बताते हुए छोटी-छोटी कन्याओं ने बताया कि उन्हें शिविर में जीवन निर्माण की बहुत सारी शिक्षा मिली जिन्हें वे अपने जीवन में उतारेंगी। इन दिनों मोबाइल और टीवी का कम प्रयोग भी उन्हें अच्छा लगा। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अखिल भारतीय दयानंद सेवा आश्रम बांसवाड़ा से आए जीवर्धन शास्त्री ने बताया कि राजस्थान के आदिवासी क्षेत्रों में आर्य समाज पूरी सेवा कर रहा है। श्री गुरुकुल चित्तौड़गढ़ के आचार्य चंद्र देव ने आश्वस्त किया कि दोनों गुरुकुल मिलकर गुरुकुल के कार्यों को आगे बढ़ाएंगे।
बेटी बचाओ कार्यक्रम की अध्यक्ष पूनम आर्य ने बताया कि नारी किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कमतर नहीं है बस आवश्यकता है उसे अपने आप पर विश्वास करने की और अपनी शक्ति को पहचानने की। प्रवेश आर्य ने बताया कि नारी किसी से नहीं है कम एक नहीं दो-दो मात्राएं नर से बढ़कर नारी ।आचार्य दयासागर पूर्व प्रधान आर्य प्रतिनिधि सभा छत्तीसगढ़ ने कन्याओं को जीवन में आत्मरक्षा को सीखने और अपनाने को बहुत आवश्यक बताया। आर्य समाज निंबाहेड़ा के प्रधान विक्रम आंजना ने ₹11000 आर्य समाज की ओर से शिविर के लिए भेंट करते हुए हर संभव सहायता करने का आश्वासन दिया। अध्यक्षीय उद्बोधन में आर्य समाज भीलवाड़ा से पधारे विजय शर्मा ने कहा की कन्या दो परिवारों की धूरी होती है कन्या के भविष्य निर्माण से देश का भविष्य निर्माण होता है। इस अवसर पर शहर के अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे रूप सिंह शक्तावत ,यशपाल, राजीव गुप्ता, सरला , वंदना सोनी, वंदना वजीरानी, विमला सेठिया, सरस्वती शर्मा, अनुसूया, सुदक्षिणा शास्त्री मुंबई , पंडित गोवर्धन भट्ट ,कवि अब्दुल जब्बार नंदकिशोर निर्झर के साथ-साथ कन्याओं के अभिभावक गण और आर्य समाज के व्यक्ति उपस्थित रहे।

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