शम्भूपुरा थाने मे ही न्यायलय, यही न्यायाधीश ओर यही फैसला तानाशाह पुलिस ने निर्दोष बच्चे को बोर्ड परीक्षा से वंचित रख दिया।
वीरधरा न्यूज़। शम्भूपुरा@डेस्क।
शम्भूपुरा। आम तोर पर पुलिस का अच्छा रवेया ओर मानवीय चहरा तो हमें कई बार देखने को मिलता है लेकिन चित्तौडग़ढ़ जिले के शम्भूपुरा थाने मे हमें एक अलग ही वाक्या देखने को मिला है ओर इन सबसे हटकर यहाँ पुलिस का एक ऐसा चहरा देखने को मिला है जो हर किसी को सोचने पर मजबूर कर देगा ओर झकझोर के रख देगा।
मामला शम्भूपुरा थाने का है जहाँ क्षेत्र मे हो रही चोरी की वरदातो पर तो पुलिस कोई कार्यवाही नहीं कर पाई लेकिन हा निर्दोष नाबालिकों पर अपना डंडा जरूर चला दिया।
पीड़ित 19 वर्षीय ओम प्रकाश पिता रतन सिंह रावत निवासी केसरपुरा ने बताया की 31 मार्च रात्रि को हम पांच मित्र जिसमे मेरे आलावा 4 नाबालिक थे जिनमे से हम 3 केसरपुरा के थे जिन्हे केसरपुरा गांव मे ही कुछ ग्रामीणों ने पकड़ कर चोर समझकर जोरदार मारपीट कर दी हम चिल्लाते रहे हम स्टूडेंट है कोई चोर नहीं लेकिन मारपीट मे मौजूद वार्डपंच भेरूलाल व पृथ्वीराज, चरण सहित 4-5 लोगो ने हमारी एक नहीं सुनी ओर खूब पीटा ओर फिर पुलिस के हवाले कर दिया पुलिस ने हमारे 2 ओर साथी दोस्तों को भी फलासिया से पकड़ा, पीड़ित ने कहा पुलिस ने हमें रातभर लॉकअप मे रखा फिर सुबह 10 बजे खाना खिलाकर रिमांड पर लिया ओर बहुत पीटा।
परीक्षा देने तक नहीं जाने दिया
पीड़ित ओम प्रकाश ने बताया कि हम पांचो दोस्त बस्सी के पास घोसुण्डी से लोट रहे थे 31 मार्च रात करीब 1 बजे हमें बिना किसी गलती के पकड़ लिया जो 3 अप्रेल को दोपहर 1 बजे के करीब छोड़ा इस बिच 1 अप्रेल को मेरे 12 वीं बोर्ड का हिंदी साहित्य का पेपर था काफ़ी विनती करने के बाद भी पुलिस ने परीक्षा के लिए नहीं जाने दिया जिसके तहत मेरा बोर्ड परीक्षा का पेपर रह गया मेरी सारी मेहनत पर पानी फिर गया।
ग्रामीणों ने कहा हम थाने गये तो हमारे साथ भी बदसलुकी कि
कुछ ग्रामीणों का कहना है कि हम लोग 1 अप्रेल को सुबह थाने गये ओर विनती की कि बच्चे के परीक्षा है उसको पेपर दिलवा दो लेकिन उल्टा पुलिस ने हमें ही धक्के देकर निकाल दिया ओर बत्तमीजी की।
सबसे बड़ा सवाल नाबालिकों को कैसे रखा लॉकअप मे
पुरे मामले मे दो दुःखद घटना जो हर किसी को झकझोर देने वाली है की इसमें 4 नाबालिक थे जिन्हे भी 3 दिन तक लॉकअप मे रखा, इनके खिलाफ ना कोई रिपोर्ट ना कुछ रिकॉड मे लिया जबकि क़ानून कहता है की नाबालिक से पूछताछ कि जा सकती इस तरह थाने मे बंद नहीं रख सकते, लेकिन यहाँ तो पुलिस ही न्यायलय ओर जज बन गईं फिर कौन किसकी सुनता।
पेपर नहीं देने दिया यह कहा का न्याय
बच्चे के बोर्ड परीक्षा थी ओर 10 वीं ओर 12 वीं ये दो ऐसी कक्षाए होती है जो बच्चे का भविष्य तय करती है ऐसे मे अगर दोष साबित भी होता है तो कोर्ट के आदेश पर परीक्षा दिलाई जाती है लेकिन यहाँ तो तानाशाह पुलिस ने पुरा सिस्टम ही बदलकर अपने हिसाब से कर लिया ओर परीक्षा से वंचित रख दिया।
इन्होने यह कहा
मामले मे ग्रामीणों ने बच्चों को हमें सौंपा 31 तारीख को हम लाये ओर 1 अप्रेल को हमने छोड़ दिया, पेपर के बारे मे मुझे कोई जानकारी नहीं, मैं तो फिर छुट्टी पर चला गया था ओर मे देखकर ही सब बता पाउँगा।
– ठाकराराम
थानाधिकारी शम्भूपुरा
ऐसा तो पुलिस कर नहीं सकती लेकिन अगर इस तरह का मामला है तो जाँच का विषय है हम भी इस पर पड़ताल करेंगे ओर उच्चाधिकारियो के जैसे निर्देश होंगे कार्यवाही करेंगे।
अनिल शर्मा
डिवाईएसपी भदेसर