वीरधरा न्यूज़।चित्तौडग़ढ़@डेस्क।
चित्तौडग़ढ़। जिले में जब से भाजपा दो भागो में बटी है तब से ही चित्तौडग़ढ़ शहर ही नहीं बल्कि पुरी विधानसभा में शहर से लगाकर गांव व ढाणी ढाणी तक अब सुरेन्द्र सिंह जाड़ावत कि गूंज सुनाई दे रही है, जिसके पीछे कारण इस बार इतिहास में पहली बार हर ग्राम पंचायतो में करोड़ो के विकास कार्य और सीएम गहलोत कि जनकल्याणकारी योजनाए।
जब बात मतदाताओं से कि गईं तो उनका कहना कि भाजपा जिस प्रकार से आपस में लड़ रही तो उनसे विकास कि उम्मीद नहीं कि जा सकती है, ग्रामीण वोटरों का यह भी कहना कि भाजपा अब ना सिर्फ जिले में बल्कि प्रदेश के कही हिस्सो में बट गईं है और भाजपा में जिस तरह से टिकिट वितरण के बाद से ही विरोध के सुर उठना, भाजपा कार्यलय में तोड़फोड़, प्रदेशाध्यक्ष के घर पत्थरबाजी, पुतले जलाना, शव यात्रा आदि घटनाओ के बाद कही ना कही जनता में जिला व प्रदेश भाजपा के प्रति गलत संदेश जा रहा है, जबकि कांग्रेस में इसके विपरीत हुआ है जो दो अलग अलग थे वो पायलेट और गहलोत अब पुनः 2018 कि तरह एक हो गये है और पुनः सरकार रिपीट करने में लग गये और कांग्रेस में टिकिट वितरण के बाद भी कही विरोध देखने को नहीं मिला, जिससे बताया जा रहा कि प्रदेशभर में भाजपा से कही ज्यादा अच्छी स्थिति में अभी कांग्रेस है और कही ना कही ओपीएस के चलते अधिकारी वर्ग का झुकाव भी कांग्रेस कि और नजर आ रहा है।
वही बात करें चित्तौडग़ढ़ जिले कि तो भाजपा कि सूची में जिले के दो सिटिंग एमएलए का टिकिट काटना और अविजयी को टिकिट देना वही एक बाहरी को टिकिट देना कही ना कही भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के गृह जिले में ही स्थिति साफ नहीं हो पा रही तो प्रदेश में क्या हाल होगा और यही हाल बरकरार रहा तो कांग्रेस रिपीट होंगी इस बात से कथाई इंकार नहीं किया जा सकता है, वही जिले में वर्तमान के हालत देखे जाए और विशेषग्यो के विश्लेषण पर गौर करें तो चित्तौडग़ढ़ जिले में 5 में से भाजपा कि दो सीट भी आती बड़ी मुश्किल दिख रही वही मुख्यालय कि बात करें तो त्रिकोनीय संघर्ष तो भाजपा के सिटिंग एमएलए चंद्रभान सिंह आक्या का टिकिट कटते ही तय हो गया था वही अभी तक कांग्रेस ने यहाँ प्रत्याशी नहीं उतारा लेकिन अभी तक सुरेंद्र सिंह जाड़ावत ही प्रमुख दावेदार बताये जा रहे है क्योंकि जिले में जाड़ावत कांग्रेस के कद्दावर नेता है हालांकि पिछली दो बार हार हुई इसके बावजूद फिल्ड में रहे और पिछले कुछ समय से जिस तरह से चित्तौडग़ढ़ विधानसभा में विकास कि गंगा बही इस बात से तो कोई इंकार ही नहीं कर सकते, जाड़ावत को टिकिट मिलता है तो ना सिर्फ कोंग्रेसी बल्कि अंदर खाने में भाजपा और स्थानीय वोटर तक जाड़ावत कि जीत तय मान रहे है, इस बार कांग्रेस चित्तौडग़ढ़ से जीतती है तो पहला कारण जाड़ावत द्वारा करवाया गया अथाह विकास कार्य दूसरा कारण गहलोत कि जनकल्याणकारी योजनाएँ और तीसरा व प्रमुख कारण भाजपा का बिखराव होगा।
जाड़ावत ही लोगों कि पहली पसंद क्यों
सुरेन्द्र सिंह जाड़ावत जमीनी स्तर के नेता होकर शुरू से लोगों से जुड़े रहे है, आज ना सिर्फ चित्तौडग़ढ़ विधानसभा में बल्कि पुरे जिले में हर बच्चा बच्चा उनको जानता और राज्यमंत्री बनने के बाद प्रदेश में भी एक बड़े नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई है वही मुख्यमंत्री गहलोत के विश्वास पात्र के रूप में जाड़ावत हमेशा से जाने जाते रहे है, दूसरी और पुरी विधानसभा में ऐसा कोई गांव भी नहीं जिसमे जाड़ावत ना पहुचे हो और विकास ना करवाया हो और जाड़ावत हर गांव में दर्जनों लोगों को नाम से भी जानते है ये उनकी खूबी रही है।
अभी तक के हालात देखे जाए तो जाड़ावत तीनो में आगे है लेकिन अगर कांग्रेस जाड़ावत का टिकिट काटकर किसी और को देती है तो हालात बदलना भी शत प्रतिशत निश्चित है, अब यह तो समय ही बताएगा कि चित्तौडग़ढ़ में कौन जीत का ताज पहनेगा लेकिन यह तय है कि इस बार मुकाबला बड़ा होने वाला है और हार जीत का अंतर बहुत छोटा होगा।