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सुख आए तो हंस लो और दुख आए तो उसे हंसी में उड़ा लो : डॉ. मुनि शांतिप्रिय।

वीरधरा न्यूज़।जोधपुर@डेस्क।
जोधपुर, 11 जनवरी। डॉ. मुनि शांतिप्रिय सागर महाराज ने कहा कि फूल बनकर मुस्कुराना है जिंदगी, मुस्कुराते हुए गम भुलाना है जिंदगी, जीत का जश्न तो हर कोई मना लेता है, पर हार कर भी खुशियां बटोरना है जिंदगी। उन्होंने कहा कि सुख आए तो हंस लो और दुख आए तो उसे हंसी में उड़ा लो। अगर आप हजार सुखों को पाना चाहते हैं और 10,000 दुखों से बचना चाहते हैं तो उसका एक सीधा सरल मंत्र है मुस्कान। पहले हम हर घंटे में एक बार मुस्कुराते थे और आज बिना मुस्कुराए ही शाम हो जाती है। उन्होंने कहा कि जो 1 मिनट जी भर के मुस्कुराते हैं उन्हें कभी ब्लड प्रेशर का रोग नहीं होता, जो 2 मिनट मुस्कुराते हैं उन्हें शुगर नहीं होती, जो 3 मिनट मुस्कुराते हैं उन्हें कभी हार्ट अटैक की प्रॉब्लम नहीं आती।
मुनि प्रवर कायलाना रोड स्थित संबोधि धाम में आयोजित सत्संग एवं ध्यान योग क्लास के दौरान साधक भाई बहनों को संबोधित कर रहे थे उन्होंने कहा कि मुस्कुराने से मुस्कान बढ़ती है और रोने से दुख बढ़ता है। अगर कोई हमारा प्रिय ऊपर चला गया है तो उसकी याद में आंसू बहाने की बजाय मुस्कान के फूल चढ़ाएं ताकि हमारा भी दिल खुश हो सके और उसकी गति भी सद्गति हो सके। जैसे सड़क साफ हो पर जूते में कंकड़ हो तो सड़क पार करना मुश्किल है और पूरी सड़क पर कंकड़ हो पर जूते सही हो तो हर सड़क को आराम से पार किया जा सकता है वैसे ही जिंदगी में मुस्कान हो तो हर मुश्किल को जीता जा सकता है। अगर हम हर कार्य करने से पहले मात्र 10 सेकेंड जी भर के मुस्कुराएंगे तो हमारी सफलता के चांस दो सौ प्रतिशत बढ़ जाएंगे। उन्होंने कहा कि जिसने सीख ली अदा गम में भी मुस्कुराने की, उसको क्या खाक कर पाएगी गर्दिश जमाने की।
उन्होंने कहा कि रोज एक काम ऐसा जरूर करें जिससे हमारी और हमारी वजह से औरों की मुस्कान 10% बढ़ती जाए। जब हम मुस्कुराते हैं तो ईश्वर की प्रार्थना करते हैं और हमारी वजह से कोई मुस्कुराता है तो ईश्वर हमारे लिए प्रार्थना करता है। हमें मुस्कुराने में कभी कंजूसी नहीं करनी चाहिए और हर दिन को, हर पल को मुस्कुराते हुए जीना चाहिए। कुछ लोग खूबसूरत जगह पर जाते हैं पर जो मुस्कान से भरे होते हैं वे जहां जाते हैं उसी जगह को खूबसूरत बना लेते हैं।


इस दौरान मुनि प्रवर ने साधकों को क्लैपिंग थेरेपी, रनिंग थेरेपी और स्माइलिंग थेरेपी करवाते हुए संबोधि ध्यान के प्रयोग करवाएं । क्लास में बड़ी संख्या में साधक भाई-बहन उपस्थित थे।

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