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मोरेल डैम पर हो रहा प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा -डॉ.सुभाष पहाडिया।

वीरधरा न्यूज़।जयपुर @ श्री राकेश शर्मा लालसोट।
पेंटेड स्टॉर्क पक्षी का वैज्ञानिक नाम माइकटेरिया ल्यूकोसिफाला है, जो भारत के अलावा श्रीलंका, चीन तथा दक्षिणी पूर्वी एशिया के देशों में भी पाया जाता है।

लालसोट । मोरेल बांध के पक्षियों के संरक्षण और उन पर शोध कर रहे राजेश पायलट राजकीय महाविद्यालय लालसोट के एसोसिएट प्रोफेसर और पक्षीविद डॉ सुभाष पहाड़िया के अनुसार पेंटेड स्टॉर्क ,सारस फैमिली की बडा पक्षी है। इसका वैज्ञानिक नाम माइकटेरिया ल्यूकोसिफाला है ये हिमालय के तराई क्षेत्रों में पाई जाती है यह पक्षी अधिकांश समय बिना हिले डुले एक ही जगह खड़े रहता है। लंबी और पतली टांग, नुकीली, लंबी चोंच उसे दूसरे पक्षियों से अलग करती है। शरीर इस प्रकार से दिखाई देता हैं मानो किसी चित्रकार ने रंग भरे हो।
यह इस पक्षी की खासियत है जो पर्यटकों को आकर्षित करता है। पेंटेड स्टॉर्क शांत स्वभाव और एक ही मुद्रा में दिन के अधिकांश समय घंटों तक खड़े रहने के लिए पहचाने जाते हैं। इनकी चहचहाहट मोरेल बांध पर आने वाले लोगों को आकर्षित करती है।

पेड़ पर ही बनाते हैं अपना आशियाना

ये पक्षी सामान्य रूप से पेड़ पर ही घोसला बनाते हैं।।पेंटड स्टॉर्क अपने घोसलें को बनाने के लिए बाहर के तिनके का इस्तेमाल करते हैं। वो जिस भी पेड़ की शाखा पर बैठते हैं, उसके तिनकों का इस्तेमाल घोसला बनाने के लिए नहीं करते हैं बल्कि अन्य शाखाओं से तिनके बटोर कर अपना घोसला बनाते हैं। फिर यहीं अपनी शारीरिक क्रिया करते हैं। अंडों को सेते हैं। बच्चे को जन्म देते हैं। नवजात बच्चों को दोपहर की तेज धूप से बचाने के लिए ही अपने पंखों को खोलकर उसकी रक्षा कर रहे हैं। इंसानों की तरह समझ रखने वाला यह पक्षी एक सामाजिक पक्षी है जो एक दूसरे का सहयोग करते दिखाई देते है। सर्दियों के अंत में ये फिर लम्बी उड़ान भरकर फिर हजारों मील दूर भारत के विभिन्न भागों में चले जाते हैं, एक साल बाद वे फिर आते हैं। प्राणी विज्ञानी डॉ सुभाष पहाड़िया ने बताया कि परिंदों का स्वर्ग माने जाने वाले केवलादेव घना पक्षी अभयारण्य की शान माने जाने वाला रंग-बिरंगा यह सुंदर पक्षी ‘पेंटेड स्टॉर्क’ अब मोरेल बांध में अपनी जलक्रीड़ा कर रहा है। यहां पर इनको पहली बार 10 से 15 की संख्या में देखा गया है जो मोरेल बांध में डेलमेसियनपेंटेड स्टोर्क व अन्य पक्षियों के साथ धूप सकते नजर आते है। यह आईयूसीएन (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर)की ओर से खतरे के निकट प्रजातियों की सूची में सम्मिलित है और फिलहाल इस पक्षी को दौसा जिले के मोरेल बांध की आबोहवा बेहद रास आ रही है।

वर्ष 2001 में डाक विभाग द्वारा 4 रुपए का एक डाक टिकट भी किया जा चुका है जारी

भारत में स्टॉर्क परिवार में सबसे आम और आकर्षक प्रजाति के रूप पहचान बनाने वाला पेंटेड स्टॉर्क या जांघिल देखने में सबसे सुन्दर पक्षी है। भारतीय डाक विभाग द्वारा वर्ष 2001 में इस पक्षी पर चार रुपए का एक डाक टिकट भी जारी किया गया है ,जिससे इसकी खासियत का पता लगता है।साढे़ तीन फीट की ऊंचाई, पंख सफेद, चोंच पीली सफेद रंग का यह पक्षी लगभग साढ़े तीन फुट ऊंचाई का जिसके पर ऊपर की तरफ चमकदार हरापन लिए तथा काले रंग के निशान और पट्टियां पास पास दिखाई देती हैं। इसकी अधर सतह पर काली पेटी सी बनी होती है। इसकी पूंछ के पास आकर्षक मुलायम हल्के गुलाबी रंग के पर होते है। सिर और मोह कुछ चिकना पीला होता है जिस पर बाल नहीं होते तथा लंबी चोंच का रंग पीला तथा नोंक पर कुछ मुड़ी होती है। ये दिन के समय कूबड़ निकाले चुपचाप खड़े रहते हैं या दलदली भूमि या उथले पानी में अपनी लंबी चोंच को आधा पानी मे डुबोकर मछलियां, पानी के कीड़े आदि बड़े धैर्य के साथ ढूंढ़ते नजर आते है।एशिया के मैदानी इलाकों में और नदियों या तालाब के साथ उथले पानी में झुंड बनाकर रहने वाले ये पेंटेड़ स्टॉर्क अपनी आधी खुली चोंच को पानी में डूबोते हैं और उन्हें एक तरफ से दूसरी तरफ घुमाते हैं और स्पर्श द्वारा महसूस की जाने वाली छोटी मछलियों का शिकार करते हैं। यह पक्षी मोरेल बांध में दिसंबर में प्रवास पर पहली बार देखे गए है जो यहां फरवरी तक रुक सकते है।लेकिन मोरेल बांध का पानी लगातार सिंचाई के लिए छोड़े जाने का कारण जलस्तर 17 फिट से 6 फिट पर आ गया है जो इन प्रवासी पक्षियों और पक्षी प्रेमियों के लिए चिंता का विषय है। डॉ पहाड़िया के अनुसार यदि बांध का जलस्तर 5 फिट से नीचे आता है तो प्रवासी पक्षी यहां से जनवरी में भी प्रस्थान कर सकते है।जल की कमी और छोटी मछलियों की संख्या में गिरावट की वज़ह से इस पक्षी की आबादी लगातार कम हो रही है। इसके अतिरिक्त परभक्षियों के द्वारा शिकार और मानवीय हस्तक्षेप भी एक बड़ा कारण है। हजारों वर्षों पूर्व हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों आदि ने हमें प्रकृति के साथ मित्रवत व्यवहार करने की तथा वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश दिया था लेकिन भोतिकवाद की अंधी दौड़ जैवविविधता के लिए खतरा बने हुए है।लालसोट और आसपास के पक्षी प्रेमियों के लिए पेंटेड स्टॉर्क आकर्षण का केंद्र बना हुआ है क्योंकि प्रकृति ने अपनी अनोखी चित्रकारिता से इसमें रंग भरा है।

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