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अजमेर-राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता प्रदान कर राज्य की द्वितीय राजभाषा करें घोषित: सांसद चौधरी।

 

वीरधरा न्यूज़।अजमेर@ श्री ललित दवे।

अजमेर।देश के विभिन्न राज्यों में स्थानीय मातृभाषाओं को भी मिल रखी हैं संवैधानिक मान्यताएं तो अब राजस्थानी भाषा को भी मिले उचित सम्मान।
सांसद चौधरी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को लिखा पुनः पत्र, रखी तथ्यों के साथ पुरजोर मांग
अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी ने प्रदेश की मातृभाषा अर्थात मायड़ भाषा राजस्थानी भाषा को प्रदेश की राज्य सरकार इसी बजट सत्र में विधानसभा में राज्य भाषा अधिनियम पारित कर इसे राजस्थान की द्वितीय राजभाषा घोषित करने की पुरजोर मांग करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा। सांसद चौधरी ने देश के विभिन्न राज्यों में स्थानीय मातृ भाषाओं को संवैधानिक मान्यताएं प्रदान कर वहां की द्वितीय राजभाषा घोषित होने के तथ्यों को उल्लेख करते हुए पत्र में लिखा कि राजस्थानी भाषा आज राजस्थान प्रदेश के 8 करोड़ लोग जो राजस्थानी भाषा केा अपने दैनिक बोलचाल में उपयोग करते है पिछले 70 वर्षाे से अपनी मायड़ भाषा राजस्थानी को संवैधानिक दर्जा दिलाकर राज्य की द्वितीय राजभाषा बनाने के लिए प्रयत्नशील है। आज भारत के सबसे बडे प्रदेश में बोली जाने वाली इस मातृभाषा का अपना समृद्ध इतिहास एवं साहित्य है। हमारे पडौसी देश नेपाल में तोे राजस्थानी भाषा में शपथ लेने की छूट भी है।हमारी राजस्थानी भाषा राजस्थान के आमजन की भाषा हैं। और विश्व की समृद्धतम् भाषाओं में से एक हैं इसे हमारी संस्कृति की पहचान हैं और हमारी भावनांए जुड़ी हुई हैं। इसलिए आज हर राजस्थानी का यह सपना हैं कि हमारी राजस्थानी भाषा को भी देश के अन्य राज्यों की प्रचलित मातृभाषाओं की तरह राज्य की द्वितीय राजभाषा बनायी जाये। मान्यवर, वर्तमान में देश मे हिन्दी भाषा को छोडकर सिर्फ 4 भाषाएं यथा बांग्ला, मराठी, तमिल एवं तेलगू ही ऐसी है जिनको बोलने वालों की संख्या राजस्थानी से अधिक है जबकि राजस्थानी भाषा को विष्वस्तर की भाषा का दर्जा प्राप्त है और अमेरीकी संसद व्हाईट हाउस में तो पत्र व्यवहार हेतु जिन 25 भाषाओं को मान्यता प्रदान की गई है, उनमें राजस्थानी भाषा भी सम्मिलित है। ज्ञात रहें कि आज देश के विभिन्न राज्यों में सवैंधानिक मान्यता प्रदान कर स्थानीय बोल-चाल की मातृभाषाओं को द्वितीय राजभाषा घोषित किया गया जैसे-उत्तर प्रदेश मे उर्दु भाषा, दिल्ली में पंजाबी व उर्दु भाषा, गोवा, दमनदीव में कोंकणी भाषा, छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढी भाषा, बिहार एवं झारखण्ड में मगही एवं भोजपुरी भाषा सिक्किम में भूटिया, लेपचा व नेपाली भाषा, पश्चिमी बंगाल में खमतपुरी भाषा आदि। इस प्रकार देश में संबंधित राज्य सरकारों ने अपने-अपने राज्यों में राज्यभाषा अधिनियम पारित कर अपने-अपने क्षेत्र की मातृभाषा को राज्य की द्वितीय राजभाषा घोषित कर गौरव प्रदान किया हैं। राजस्थान की कोटि कोटि जनता भी आज अपनी मातृभाषा को द्वितीय राजभाषा के रूप मे संवैधानिक मान्यता मिलने की चाह मे आपकी ओर अपेक्षा से देख रही है अतः आप उक्त तथ्यों पर ध्यान देते हुए विधानसभा बजट सत्र में अधिनियम पारित कराकर राजस्थानी भाषा को राज्य की द्वितीय राजभाषा घोषित कराते हुए करोड़ो राजस्थानियों को अपनी समृद्ध भाषा के विकास की राह प्रदान करावे ताकि राजस्थान प्रदेश के हर आमजन की भावनाओं को उचित सम्मान मिल सकेगा। और राजस्थानी भाषा को केन्द्र सरकार के समक्ष सविंधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित कराने के मापदण्डों को भी मजबूती प्रदान करेगा।

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