वीरधरा न्यूज़।चित्तोड़गढ़@डेस्क।
चित्तोड़गढ़।वरिष्ठ नागरिक मंच की गांधीनगर उपशाखा की मासिक बैठक डॉ आर.एस. मंत्री की अध्यक्षता व राष्ट्रपति पुरुस्कार प्राप्त एचएस राठी के मुख्य आथित्य में त्रिपोलिया हनुमान मंदिर प्रांगण में आयोजित हुई जिसमे शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर मंच के विद्वत शिक्षाविदों का सम्मान किया गया, साथ ही शिक्षक की समाज निर्माण में भूमिका विषय पर चर्चा की गई जिसमे कई वक्ताओं ने अपने अनुभवजन्य विचार रखे व आज के परिवेश में शिक्षक बनना व उस पद की गरिमा को बनाये रखने को एक चुनोती बताया है।
मुख्य वक्ता के रूप में डॉ आर.एस. मंत्री ने शिक्षक दिवस को उत्साह पूर्वक मनाने के लिए मंच का आभार जताया व योग से मानसिक सुदृढ़ता बढ़ाने पर जोर दिया ।
अमरकंठ उपाध्याय ने शिक्षक को भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया माता पिता को बालक का प्रथम गुरु बताया व राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सफल बनाने में शिक्षकों की ही महत्वपूर्ण भूमिका पर जोड़ दिया।
कमला शंकर मोड़ ने गुरु वचनों को रखना संभाल के गीत प्रस्तुत कर शिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त किया।
डॉ राधेश्याम जोशी ने कहा कि आज शिक्षक बनना बड़ी भारी समस्या है प्रतियोगिता परीक्षा प्रश्नपत्र आउट हो जाना, कोर्ट केस एवं शिक्षकों की भर्ती के घोटालों की बात बताई, इन सबके बाद बने शिक्षक को शिक्षण के अतिरिक्त कार्य एवं राजनीतिक दबाव के अंतर्गत काम करने पर चिंता जताई।
बालू लाल रेगर ने कहा कि शिक्षक समाज का दर्पण है, पूर्व में शिक्षक का विशेष सम्मान था उसमें कहीं ना कहीं कमी देखने को मिलती है।
सुमन गुप्ता ने बालक के विकास में केवल शिक्षक ही जिम्मेदार नहीं है वरन घर के सुसंस्कार को भी उसके जीवन को संवारने में महत्वपूर्ण योगदान बताया।
जगदीश चंद्र गंगवाल ने उनकी माता स्वर्गीय पुष्पा गंगवाल को मिले स्वर्ण पदक सम्मान को वरिष्ठ नागरिक मंच को समर्पित करने की घोषणा की तथा कहा कि मां, पिता, गुरु एवं ईश्वर केवल देते हैं लेते नहीं।
सत्यनारायण सिकलीगर ने शिक्षक की महानता के ऐतिहासिक उदाहरण दिए व शिक्षक द्वारा की गई एक गलती समूचे समाज के लिए भारी क्षति पहुंचा सकती है व वर्तमान में गुरु शिष्य के पारस्परिक संबंधों का हास हुआ है इस पर भी चिंता जताई।
डॉ भगवत सिंह तंवर में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा अपने जन्मदिन के बजाएं शिक्षक दिवस मनाने का आह्वान किया तब से यह दिवस मनाया जाता रहा है।
इंद्र लाल आमेटा ने शिक्षक को बहुमुखी विकास का महत्वपूर्ण केंद्र बिंदु बताया तथा अपने जोशीले अंदाज में सभी शिक्षकों को आह्वान किया कि अपने अध्यापन में विश्वसनीयता स्थापित करते हुए बच्चों को संस्कारवान व चरित्रवान बनावे ।
लक्ष्मी नारायण भारद्वाज ने शिक्षक की समाज में भूमिका पूजनीय कैसे बने इस ओर शिक्षक स्वयं निर्धारित करें।
डॉ एच एस राठी ने बालक के निर्माण की जिम्मेदारी सारी शिक्षक की रहती है ,बालक के साथ माता पिता भाई गुरु बनकर व अन्य कई तरीकों से बच्चे को एक सफल इंसान बनाने मैं शिक्षक का महत्वपूर्ण योगदान रहता है।
मंच महासचिव राधेश्याम आमेरिया ने सभी उपस्थित शिक्षकगणों का स्वागत करते हुए कहा कि मंच को आज यह सौभाग्य मिला है कि ऐसे गुरुओं का सम्मान सत्कार हो रहा है जिन्होंने भारत के उपराष्ट्रपति कई जनरल व कई ऐसे शिक्षक तैयार किए हैं जिनको राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
मंच कार्यालय सचिव रामनरेश डाड़ ने नैतिक शिक्षा प्रचार प्रसार हेतु मंच बैनर तले शिक्षकों का एक पैनल बनाने की बात रखी।
इस अवसर पर मंच के नए सदस्य उमाशंकर भगवती का स्वागत किया गया।
आज की सभा में अंबालाल श्रीमाल, राधेश्याम गुप्ता, जगदीश चंद्र जोशी, मनोहर सिंह शक्तावत, रामजस कोठारी, चंद्र किशोर व्यास, एन एस गोड़ले, कन्हैयालाल नारानीवाल , भेरूलाल दशोरा, जीतमल छिपा, श्याम लाल खत्री राष्ट्रीय कवि अब्दुल जब्बार ,सुरेश कुमार वर्मा , मोहनलाल श्योपुरा, सुरेश चंद्र तंबोली ,जगदीश गंगवाल, पुरुषोत्तम लाल चौखड़ा, मनवीर सिंह ,महेंद्र कुमार जैन, शशि रंजन तिवारी, डॉ एमके पोरवाल, कवि नंदकिशोर निर्जर, इंद्र कुमार गोयल, कन्हैया लाल खंडेलवाल ,कृष्ण चंद्र अग्रवाल, ओम प्रकाश ओझा, सत्येंद्र प्रकाश मेहता, शशि कला गुप्ता, अंजना जैन, गोवर्धन लाल भट्ट, मदनलाल ट्रेलर ,बंसीलाल न्याति सहित कई वरिष्ठ जन उपस्थित थे।
सभा का संचालन सह सचिव ओमप्रकाश अमेरिया ने किया व आभार लक्ष्मीनारायन भारद्वाज ने किया।
इससे पूर्व मंच की परम्परा के अनुसार सर्वधर्म प्रार्थना की गई व समापन में राष्ट्रगान के बाद जिलाध्यक्ष बसंती लाल जैन की बहिन के निधन पर दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।