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बिड़ला सीमेंट फेक्ट्री चंदेरिया द्वारा प्रदूषण फैलाने से आमजन परेशान, मंत्री को सोंपा ज्ञापन।

वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@डेस्क।


चित्तौड़गढ़।बिड़ला सीमेंट फेक्ट्री चंदेरिया द्वारा प्रदूषण मानकों के विपरीत प्रदूषण फैलाने से क्षेत्र में मानव जीवन वनस्पति व पर्यावरण का नुकसान होने से बी.सू.का. केबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त डॉ चंद्रभान को चेरावती सेवा संस्थान के पदाधिकारियों ने बिरला के विरुद्ध ज्ञापन सौंपा।
चेरावती सेवा संस्थान के सचिव नवरतन जीनगर ने ज्ञापन में बताया कि साथ रहे संस्थान के अध्यक्ष सत्यनारायण ओझा,राजेन्द्र रेगर, राजेंद्र सालवी, नारायण बैरवा, शंभुलाल व अन्य पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से मंत्री को कहा है की इस सम्बंध में राज्यमंत्री सुरेन्द्र सिंह जाड़ावत व पूर्व में चित्तौड़गढ़ जिला कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल को भी ज्ञापन दिया गया है कि चित्तौड़गढ़ दुर्ग पूरे विश्व मे ख्याति प्राप्त है और युनेस्को द्वारा चित्तौड़गढ़ के दुर्ग को 2013 में विश्व विरासत में शामिल किया गया, उच्च न्यायालय द्वारा चित्तौड़गढ़ दुर्ग के आस पास के क्षेत्र के 10 किलोमीटर की परिधि में खनन पर रोक लगाई हुई है, साथ ही मार्च 2019 को एनजीटी की प्रधान पीठ ने चित्तौड़गढ़ के नगर निकाय क्षेत्र में खनन पर पूर्ण रोक लगा दी गयी लेकिन बिरला सीमेंट द्वारा अभी भी क्षेत्र में अवैध खनन जारी है।
बिरला सीमेंट की हठधर्मिता और अवैध खनन के चलते विश्व विरासत में शामिल दुर्ग के विभिन्न भवनों को ना केवल खनन और ब्लास्टिंग से नुकसान हो रहा है अपितु बिरला सीमेंट से निकलने वाला प्रदूषण हवा में ऊपर की और फैलता हुआ दुर्ग की विभिन्न ऐतिहासिक धरोहरों को निरन्तर नुकसान पहुँचा रहा है पिछले कोरोना काल मे इनके जहरीले प्रदूषण से फेफड़ों को नुकसान पहुँचा तथा आस पास के क्षेत्र के युवा वर्ग को भी काल का ग्रास बनना पड़ा था।
इस सीमेंट कारखाने से तरह तरह के जहरीले केमिकल रोज वायुमंडल में छोड़े जा रहे है जिससे आस पास के गांवों में रहने वाले हमारे भोले भाले ग्रामीण कई तरह की बीमारियों से ग्रसित हो रहे है।
बिड़ला सीमेंट द्वारा रोज टनो की मात्रा में एयरबोर्न पॉल्यूशन निकाला जा रहा है,इसमे बड़ी बात ये है कि SPM-2.5 जो कि छोटे छोटे धूल के कणों के रूप में जनमानस की श्वासनली में जाकर उनके फेफड़ों को खराब कर रहे है आये दिन श्वास संबंधी समस्याओं का होना अस्थमा के मरीजों का बढ़ना लोगो की अकाल मृत्यु का सिलसिला बढ़ा रहा है।
बिरला प्लांट द्वारा 1000 सीमेंट बनाने में 90 किलोग्राम कॉर्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन किया जा रहा है क्या 90 किलोग्राम/1000 किलोग्राम बेलेन्स करने के लिए बिरला द्वारा उसी मात्रा में पेड़ लगाया जाना चहिये जिसका इनके पास कोई जवाब नही है।
जिस क्लिंकर में सीमेंट का निर्माण होता है वहा का तापमान 1400०C होता है, इस तापमान पर जो गैस का उत्सर्जन होता है उसमें डाईओसिन, NO x SO-2,नाइट्रोजन डाई आक्साइड व सल्फर डाई आक्साइड का भारी मात्रा में निर्माण और वायुमंडल में उत्सर्जन किया जा राह है जिसकी वजह से अम्ल वर्षा, फसलों की बर्बादी, आमजन के त्वचा संबधी रोग होना आम बात हो गयी है कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन से आसपास के तापमान में काफी व्रद्धि हो गयी है इसके कारण आमजन व पशुओं का जीवन संघर्ष बढ़ता जा रहा है महज लाभ अर्जित करने के चक्कर मे बिरला सीमेंट वर्क के प्रशासन ने आम जनता को मौत में मुँह में धकेल दिया है।
ज्ञापन में बताया कि बिरला सीमेंट वर्क्स प्रशासन द्वारा आई वाश के लिए लगाए गए प्रदूषक नियंत्रण उपकरण किसी काम के नही है यहाँ तक उसका सचालन ही नही होता है इन उपकरणों का मेंटनेंस को अरसा बीत चुका है सिर्फ प्रसाशनिक उच्चधिकारियों को दिखाने के लिए ओपचारिक रूप से उपकरण लगाए हुए है बिरला सीमेंट वर्क्स की जीरो डिस्चार्ज पॉल्यूशन फ्री एनवीओरन्मेंट की नीति खोखली और भ्रामक है।
आप द्वरा इसकी सघन जाँच कराई जाए जिससे पर्यावरण विशेषज्ञों की अच्छी व काबिल टीम हो,अगर इसी प्रकार वायुमंडल में जहरीले अपशिष्ट का उत्सर्जन होगा तो आने वाली पीढ़ी हमे कभी माफ नही करेगी।

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