वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@डेस्क।
चित्तौड़गढ़। चित्तौड़ी आठम महोत्सव समिति के कुलदीप पारीक ने बताया कि चित्तौड़ी आठम महोत्सव द्वारा सुभाष चैक पर शाम को चित्तौड़गढ़ का स्थापना दिवस चित्तौड़ी आठम धुमधाम से मनाई गई। विशाल रंगोली बना कर जय-चित्तौड़, जय-मेवाड़, चित्तौड़ी आठम लिखकर नीचे किले की दिवार बनाकर रंगोें से भरी गई। लगभग 300 से अधिक दीपक प्रज्ज्वलित किये गये। मंच पर माँ कालिका, महाराणा प्रताप की तस्वीर पर पुष्प अर्पण किये गये। भव्य आतिशबाजी कर मिठाई बाँट कर नगरवासियों का मुँह मीठा कराया गया।
पूर्व सभापति सुशील शर्मा, डाॅ. आई.एम.सेठिया, अर्जुन मूंदड़ा, सुनिल ढीलीवाल, विश्वनाथ वाल्मीकि, परमजीतसिंह, उदयलाल कीर, कानसिंह सुवावा, हस्तीमल चण्डालिया, सुभाष शर्मा, नरपतसिंह, राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के प्रदेश अध्यक्ष आबिद शेख, अनिल शिशोदिया, हरिश ईनाणी, महिला मोर्चा की ममता, सिम्पल वैष्णव, अध्यक्ष मुकेश नाहटा, शिवसेना जिला प्रमुख गोपाल वेद आदि सभी ने अपने उद्बोधन में चित्तौड़गढ़ की स्थापना भविष्य में बड़े स्तर पर मने, सरकार की ओर से भी कार्यक्रम किये जावे, तीन दिवसीय सामाजिक, सांस्कृतिक कार्यक्रम किये जाने पर बल दिया। चित्तौड़गढ़ के बारे में जानकारी देते हुए वीर गाथाएँ बताई। गीत के माध्यम से अपना उद्बोधन दिया।
सर्व समाज के जनप्रतिनिधिगण व विभिन्न संगठन आरएसएस, हिन्दू जागरण मंच, भाजपा, कांग्रेस, शिवसेना, बजरंग दल, युवा मोर्चा, जौहर स्मृति संस्थान, स्वदेशी जागरण मंच, जन चेतना मंच, एबीवीपी, भारतीय किसान संघ, विद्या भारत, भारत विकास परिषद, सेवा भारती, अभियन्ता संगम, क्रीडा भारती, भारतीीय मजदूर संघ, सहकार भारती, बालाजी कुश्ती जुड़ो प्रशिक्षण संस्थान, वरिष्ठ नागरिक मंच, सिविल सोसायटी, विहिप, राष्ट्रीय मुस्लिम मंच, पेंशनर संघ, नवरतन चेरिटेबल संघ, एटीबीएफ, जिला शतरंज संघ, विरासत विकास संस्थान, अंतरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद, महिला मोर्चा, दीनदयाल संघ, जनसंख्या समाधान फाउण्डेशन, स्काउट गाईड, रामायण मण्डल, जिला क्लब, भूमि विकास बैंक, संस्कार भारती, बार संघ के पदाधिकारी, कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
अध्यक्ष मुकेश नाहटा ने बताया कि चित्तौड़ी आठम 1958 के बाद बंद हो गई थी जो पुनः 2008 में चित्तौड़ी आठम महोत्सव समिति ने इसकी शुरूआत की तभी से लगातार कार्यक्रम होते आ रहे हैं। कोरोना काल में भी घर-घर दीप लगाने के आह्वान पर समस्त चित्तौड़गढ़ वासियों ने दीप जलाये व किले पर हवन, यज्ञ भी किये गये। बताया जाता है कि 1326 ई. राजा हमीर द्वारा पुनः चित्तौड़गढ़ जीतने पर दुर्ग पर दीपोत्सव मनाया गया, उसके बाद से ही यह दिन चित्तौड़ की स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता रहा। अष्ठमी के दिन ही कालिका माता मंदिर की स्थापना की गई थी।
संरक्षक सुशील शर्मा, धर्मेन्द्र मूंदड़ा, अध्यक्ष मुकेश नाहटा, राजकुमार कुमावत, मुकेश ईनाणी, नारायण बल्दवा, बाबु डांगी, कुलदीप पारीक, अमन गौड़, विपुल सिंह, अशोक सेन, संदीप तरावत, सोमेश्वर सोनी, मनोज शर्मा, देवराज साहू, कंनु गौड़, अर्जुन जोशी, विजय वैष्णव, मोनू सोनी, राहुल दीक्षित, अक्षय सेन, पंकज लोठ, शुभम सेन, संतोष शर्मा, बोतु माली, विवेक वैष्णव, भेरू सिंह, गौरव आचार्य, राजवीर कसेरा, रौनक, शुभम, युगल, सिद्धार्थ, राहुल, कृष्णा सोनी, ललित सुथार, रोहित धोबी, मदन कीर, नरेश शर्मा, विक्की जायसवाल, रवि बैरागी, शुभम पारीक, शांतु गुर्जर, आलोक छीपा, देवेन्द्रसिंह, विष्णु तिवारी, रितिक शर्मा, दीपक गौड़, राहुल सोनी, प्रियदर्शन, ललित तम्बोली आदि समिति के कार्यकर्ता उपस्थित थे।