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निम्बाहेड़ा-सत्य पर डट जाना अपने लक्ष्य की प्राप्ति करना ही ध्रुव चरित्र है : जयमाला दीदी।

 

वीरधरा न्यूज़।निम्बाहेड़ा@डेस्क।
निम्बाहेड़ा। घाणावार तेली समाज द्वारा आयोजित संगीतमय श्रीमदभागवत ज्ञान गंगा का तीसरा दिन हुआ ध्रुव, प्रहलाद चरित्र व नरसिंह अवतार की कथा का वर्णन बताया गया।
दृढ़ निश्चय से ही ईश्वर की प्राप्ति संभव है। सत्य पर डट जाना और अपने लक्ष्य की प्राप्ति करना ही ध्रुव चरित्र है। बालक ध्रुव ने अपनी माता के तिरस्कार के बाद यह दृढ़ निश्चय कर लिया था कि मुझे अब अपने पिता राजा उत्तानपाद की गोद में नहीं, वरन परम पिता की गोद में बैठना है। इसी दृढ़ निश्चय के साथ ही वह घनघोर वन में ईश्वर प्राप्ति के लिए तपस्या करने निकल पड़े। उन्होंने अपने दृढ़ निश्चय से ही ईश्वर के साथ साक्षात्कार किया। क्षितिज पर ध्रुव तारे का मुकाम हासिल किया। यह प्रवचन समाज के नोहरा पेच तलाई में आयोजित हो रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कथा वाचक जयमाला दीदी निलीया ने भक्तों के बीच दिए।
भागवत कथा के श्रवण के लिए उमड़ रही समाज की भीड़ में आयोजित की जा रही भागवत कथा का श्रवण करने के लिए नगर सहित आसपास के कई गांवों के लोग आ रहे है।
ध्रुव-प्रहलाद चरित्र, नरसिंह अवतार की कथा सुनाई गई।
उत्तानपाद की सुनीति पहली पत्नी थी जिसका पुत्र ध्रुव था। सुनीति बड़ी रानी थी लेकिन राजा सुनीति के बजाय सुरुचि और उसके पुत्र को ज्यादा प्रेम करता था। एक बार राजा अपने पुत्र ध्रुव को गोद में लेकर बैठे थे तभी वहां सुरुचि आ गई। अपनी सौत के पुत्र ध्रुव को गोद में बैठा देखकर उसके मन में जलन होने लगी। तब उसने ध्रुव को गोद में से उतारकर अपने पुत्र को गोद में बैठाते हुए कहा, राजा की गोद में वही बालक बैठ सकता है और राजसिंहासन का भी अधिकारी हो सकता है जो मेरे गर्भ से जन्मा हो। तू मेरे गर्भ से नहीं जन्मा है। यदि तेरी इच्छा राज सिंहासन प्राप्त करने की है तो भगवान नारायण का भजन कर। उनकी कृपा से जब तू मेरे गर्भ से उत्पन्न होगा तभी सिंहासन प्राप्त कर पाएगा।

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