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चित्तौड़गढ़-श्राद्ध का अर्थ प्रायश्चित, नवरात्रि का समय भक्ति का- डॉ समकित मुनि।

वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@डेस्क।
चित्तौड़गढ़। डॉ समकित मुनि ने नवरात्रि के महत्व पर प्रवचन प्रारम्भ करते हुए कहा कि गुरुवार से प्रारम्भ हो रहे इस पावन पर्व से पूरे एक महीने तक जप,तप और साधना करने का सुअवसर है ।उन्होंने अपने आराध्य गुरुदेव राजऋषि सुमति प्रकाश का स्मरण करते हुए कहा कि कल से लेकर दीपावली तक वे 82 वर्ष की उम्र में भी मौन रहकर एक लाख नवकार महामंत्र का जाप सम्पन्न करेंगे जो सबके लिए प्रेरणा का मार्ग प्रशस्त करते हैं।चिंतनकार कहते हैं हमने मन के अंदर कोई भावना बनाई है और विचार आया है कि पूर्वजों के नाम से दान पुण्य करना है तो इससे सात्विक भावना का जन्म होता है और सात्विक भावना की ये तरंगे और ऊर्जा हमारे पूर्वजों तक अवश्य पहुंचती है । श्राद्ध का अर्थ प्रायश्चित है और उसके बाद के अगले 9 दिन पवित्र दिवस होते हैं। नवरात्रि के समय में जितनी साधना, जितनी आराधना कर सकें तो ये हमारे स्वयं के जीवन के लिए बहुत उपयोगी होगी। उन्होंने कहा कि भक्ति के मौके आते हैं और मिले मौके का फायदा उठाना ही चाहिए ।डॉक्टर समकित मुनि ने कहा कि साता उदय कर्म का बंधन जिन शासन की प्रभावना करने से होता है। उन्होंने प्रेरणा दी कि अपने एक घंटे की कमाई सद्कार्य में खर्च करनी चाहिए। धर्म के लिए जो भी दिया जाता है वह प्रभावना कहलाता है ।उन्होंने कहा कि करेक्ट होना है तो जिंदगी में के अंदर करेक्शन करो। उन्होंने कहा कि भक्ति के पेड़ में आसक्ति का कीड़ा लग जाए तो भक्ति का पेड़ कुछ ही समय में जमीन पर गिर जाता है।
प्रचार मंत्री सुधीर जैन ने बताया कि डॉ समकित मुनि ने वरिष्ठ श्रावक सुरेश बोहरा को 33वें उपवास का प्रत्याख्यान कराया। प्रवचन कार्यक्रम में भवान्त मुनि म सा ,साध्वी विशुद्धि म सा ,साध्वी विशाखा म सा विराजित रहे ।प्रवचन कार्यक्रम का संचालन श्रीसंघ मंत्री अजीत नाहर ने किया ।

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