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चित्तौड़गढ़-तन को तराशना नहीँ बल्कि तपाना चाहिए- डॉ समकित मुनि।

वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@डेस्क।
चित्तौड़गढ़। डॉ समकित मुनि की प्रवचन श्रृंखला “समकित के संग समकित की यात्रा स्ट्रेसफुल लाइफ का सोल्युशन”के क्रम में गुरुवार को खातर महल में आयोजित प्रवचन कार्यक्रम में डाक्टर समकित मुनि ने तपस्या की महत्वता पर प्रवचन देते हुए कहा कि तपस्या से आत्मा प्रतिक्षण पवित्र होती है। आगम कहते हैं कि पुराने से पुराने कर्मों की निर्जरा तपस्या के माध्यम से हो जाती है। तन को तराशना नहीँ बल्कि तपाना चाहिए ।तन को तपाने से आत्मा सुंदर होती है जबकि तन को तराशने से हम कुछ समय के लिए सुंदर दिख जाएंगे पर जरा सा पसीना आया तो यह सब सुंदरता क्षणभंगुर हो जाएगी। डॉक्टर समकित मुनि ने वयोवृद्ध श्रावक मांगीलाल धींग के 41 उपवास पूर्ण करने व वरिष्ठ श्रावक सुरेश बोहरा के मास खमण की ओर अग्रसर होने की बारंबार अनुमोदना करते हुए कहा कि ऐसे श्रावक संघ की शान होते हैं। उन्होंने धींग परिवार को धर्मात्मा परिवार बताया और कहा कि धींग परिवार की बेटी आज जिन शासन की सेवा कर रही है और समीक्षा श्री जी म सा के रूप में धर्म की प्रभावना कर रही हैं।इनका पूरा परिवार धर्म के महा मार्ग पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि देवताओं को भी हजारों हजारों साल बाद भूख लगती है क्योंकि उनके पुण्य का उदय बहुत ज्यादा होता है । कोई कोई ही होता है जो तपस्या के मार्ग पर आगे बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि पांच इंद्रियों में से रस इंद्रिय को भूखा रख दिया तो चारों इंद्रिया संतुष्ट रहेगी और हम तपस्या के महा मार्ग पर आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि जितना परिश्रम ,जितना पैसा जितनी एनर्जी हम तन को तपाने में करेंगे तो तपस्या आसान हो जाएगी। शरीर स्वस्थ व सर्वत्र अनुकूलता है तो तपस्या आराम पूर्वक हो सकती है।तपस्वी माँगीलाल धींग का श्रीसंघ द्वारा बहुमान किया गया व तपस्या अभिनंदन पत्र भेंट किया गया।
प्रचार मंत्री सुधीर जैन ने बताया कि डॉ समकित मुनि ने वरिष्ठ श्रावक सुरेश बोहरा को 27वें उपवास के प्रत्याख्यान दिलाये। प्रवचन कार्यक्रम में भवान्त मुनि ,साध्वी विशुद्धि म सा ,साध्वी विशाखा म सा विराजित रहे ।
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