चित्तौड़गढ़-ज़िला कलक्टर ने आकाशीय बिजली को लेकर अधिकारियों से किया संवाद कहा- आकाशीय बिजली की घटनाओं को लेकर अलर्ट रहें।
वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@डेस्क।
चित्तौड़गढ़। जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा ने शुक्रवार को सभी पंचायत समितियों के विकास अधिकारियों एवं अन्य अधिकारियों से आकाशीय बिजली की घटनाओं को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संवाद किया। जिला कलेक्टर ने निर्देश दिए कि सभी ग्राम विकास अधिकारी, पटवारी सहित ग्राउंड मशीनरी के सभी अधिकारी अपना सूचना तंत्र मजबूत करें, आकाशीय बिजली गिरने सहित कोई भी प्राकृतिक घटना होने पर समय पर सूचना दें क्योंकि समय पर दी गई सूचना से किसी पीड़ित की जान बचाई जा सकती है। जिला कलेक्टर ने निर्देश दिए कि कार्मिक इस कार्य में बिल्कुल लापरवाही नहीं करें। उन्होंने जिले में आकाशीय बिजली गिरने से हुई घटनाओं का उल्लेख करते हुए इसकी गंभीरता पर प्रकाश डाला।
वीडियो कांफ्रेंस में एडीएम (भूमि अवाप्ति) अंबालाल मीणा ने बताया कि एनडीएमए की वेबसाइट से प्राकृतिक घटनाओं की रोकथाम हेतु प्रचार प्रसार का मटेरियल डाउनलोड कर आमजन से सोशल मीडिया साझा किया जा सकता है। इसके अलावा जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ज्ञानमल खटीक ने पहले विभिन्न विभागीय योजनाओं की समीक्षा की एवं पेंडिंग कार्यों को पूर्ण करने के निर्देश दिए। इसके बाद सीईओ ने आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा आकाशीय बिजली से जनहानि को रोकने के लिए जारी की गई एडवाइजरी से सभी को अवगत कराया।
सीईओ ने सभी अधिकारियों को जानकारी दी कि बिजली के गर्जन के दौरान हमें क्या करना चाहिए एवं क्या नहीं करना चाहिए। उन्होंने सभी को निर्देश दिए कि इस एडवाइजरी का आम जन में व्यापक प्रचार प्रसार करें ताकि लोग आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं के प्रति जागरूक हो सकें।
क्या करें, क्या न करें-
गर्जन सुनाई देने पर सुरक्षित स्थान पर आश्रय लें,
पेड़ों, टीन या धातु की छतों के नीचे शरण न लें,
भीड़ में खड़े होने से बचें,
गर्जन के दौरान सभी विद्युत उपकरणों को बंद करें,
बिजली और टेलीफोन के पोल से दूर रहें,
धातु पाईप या ऊर्ध्वाधर पाइप के करीब ना जाएं,
कंक्रीट के फर्श पर ना लेटे व दीवार के साथ साथ सटकर खड़े न हो,
इसके स्थान पर पैरों के मध्य सिर को रखकर अपने आप को छोटा बनाकर पंजों के बल बैठे,
छत पर तड़ित चालक प्रणाली स्थापित करें,
बरामदे, कांच की खिड़कियों और दरवाजों से दूर रहें
यदि संभव हो तो घायल व्यक्ति को प्राथमिक चिकित्सा दें,
जरूरत पड़ने पर उसे नजदीकी अस्पताल ले जाएं,
आवश्यक हो तो सीपीआर यानी कार्डियो पलमोनरी रिससिटेशन दें,
शिशु, बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं, विकलांग और जानवर आदि की मदद करें।