वीरधरा न्यूज़। शंभूपुरा @ डेस्क।
शंभूपुरा क्षेत्र की बात करे तो क्षेत्र की दो सीटों को हॉट सीट बताया जा रहा था जिसमे गिलुण्ड अरनिया पन्थ वाली सीट पर कोंग्रेस के प्रधान के प्रबल दावेदार माने जा रहे प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ता तो इधर जालमपुरा सीट पर भाजपाइयो की लाख कोशिशों के बावजुद उपप्रधान के दावेदार माने जा रहे प्रत्याशी को हार झेलनी पड़ी।
बता दे कि हमेशा से ही क्षेत्र का राजनीतिक गढ़ रहा पाटनिया इस बार फिर एक नया इतिहास रचने में कामयाब रहा और जालमपुरा पंचायत समिति सीट से दोनों प्रत्याशी इसी गांव के होने के साथ ही दोनों जाट समाज से थे, इसे लेकर जहा एक ओर कोंग्रेस के कई कार्यकर्ताओ सहित कई भाजपाइयों ने भी कोंग्रेस उम्मीदवार का समर्थन किया तो वही भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में अपनी पूरी मेहनत झोंकने के बावजुद भाजपा के दिग्गज इस सीट को बचाने में नाकामयाब रहे।
बता दे कि इस सीट पर चुनाव से पहले ही भाजपा प्रत्याशी ने कोंग्रेस छोड़ भाजपा जॉइन कि थी, इस पर कई लोगो ने बताया कि भाजपा जॉइन के बाद क्षेत्र में भाजपा तो मजबुत हुई लेकिन दिग्गजों के अतिआत्मविश्वास के चलते यह सीट भाजपा के हाथ से निकल गई जबकि पूर्व प्रधान भी इसी सीट से भाजपा से जीतकर गए थे बावजुद इसके इस बार भाजपा यह करिश्मा करने में नाकामयाब साबित हुई।
कार्यकर्ताओ ओर ग्रामीणों ने यह भी बताया कि शंभूपुरा के स्थानीय सरपँच स्वयं ने इस भाजपा प्रत्याशी को जिताने के दावे किए थे और उनके गृह क्षेत्र से ही वो भाजपा को नही जीता पाए, इसके बाद सरपँच के एक साल के कार्यकाल की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लग गए है, क्योकि इससे पूर्व भाजपा विधायक भी यहाँ से जीतकर गए है, ऐसे में इस चुनाव में क्षेत्रीय भाजपा के दिग्गज ओर उनके दावे दोनों फिसड्डी साबित हुए।
हालांकि शंभूपुरा सामरी सीट पर भाजपा को मिली जीत स्थानीय भाजपा नेताओं के लिए सांत्वना पुरस्कार साबित हुई, जिसकी खुशी जरूर मनाई जा रही है।
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